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NAMAZ KI NIYAT
नमाज़ पढ़ने के लिए नियत सबसे अव्वल चीज है जो मुकम्मल होनी चाहिए। नमाज़ में सबसे पहले नियत की जाती है उसके बाद सना पढ़ी जाती है फिर सुर : फातिहा कोई आयत और फिर रुकू में चले जाते हैं।
नियत बहुत ही आसान है क्योंकि यह सभी नमाज़ में same होती है कुछ जयादा अंतर नहीं होता है। आप गौर से इस पोस्ट को धयान से पढ़े अगर अल्लाह ने चाहा तो आप जल्द ही नियत करना सीखा जायेंगे।हर कोई सर्च करता है की नमाज़ की नियत कैसे करें पर उन्हें कोई सही साइट नहीं मिल पाती और वो मायूस हो जाते हैं। मगर हम आपकी हर मुमकिन सहायता करेंगे। हर इस्लाम के बन्दे पर नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है और नमाज़ को जितना सही पढ़ा जाए उतना ही बेहतर है।
मुसलमानों को तमाम इबादतों की तरह नमाज़ में भी नीयत करना फर्ज़ है। अगर आप नीयत किए बग़ैर नमाज़ पढ़ लेंगे, तो नमाज़ न होगी और उस नमाज़ को दोहराना भी आपके लिए लाज़िमी होगा। मक़्सद यह है। कि आपके ज़ेहन में यह बात साफ हो कि आप किस वक़्त की कौन-सी, कितनी रकूअतोंवाली और किसके लिए नमाज़ पढ़ रहे हैं, जैसे, पाँचों वक़्त के फर्ज़ नमाज़ों की नीयत आपके ज़ेहन और ध्यान में हो, जुबान से अदा करना ज़रूरी नहीं है-
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फज़्र की नमाज़ की नियत
– मैं नीयत करता हूँ दो रक्अत नमाज़ फ़र्ज़ वक़्त है फज़्र का वास्ते अल्लाह के, रुख़ मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
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जुहर की नमाज़ की नियत
– मै नीयत करता हूँ चार रकअंत नमाज़ फ़र्ज़ जुहूर, वास्ते अल्लाह के, रुख़ मेरा कारबा शरीफ की तरफ ।
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असर की नमाज़ की नियत
– मैं नीयत करता हूँ चार रक्अत नमाज़ फर्ज़ असर । वास्ते अल्लाह के, रुख़ मेरा काबा शरीफ की तरफ।
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मग़रिब की नमाज़ की नियत
– मैं नीयत करता हूँ तीन रकअत नमाज़ फर्ज़ मग़रिब, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ।
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इशा की नमाज़ की नियत
– मैं नीयत करता हूँ च्रार रकात नमाज़ फर्ज़ इशा, वास्ते अल्लाह के, रुख़ मेरा काबा. शरीफ की तरफ।
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जुम्मा की नमाज़ की नियत
– नियत की मैंने 2 रकात फ़र्ज़ नमाज ए जुम्मा वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा सरीफ की तरफ।
वाजिब नमाज़ की नीयत-
मैं नीयत करता हूँ, तीन रक्अत नमाज़ वित्र वाजिब, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़।
दिन-रात में सिर्फ तीन रक्अत वित्र वाजिब हैं, जो इशा के बाद पढ़े जाते हैं। अगर आप जमाअत से नमाज़ पढ़ रहे हैं तो आपके ज़ेहन में यह भी होना चाहिए कि मैं इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहा हूँ।
सुन्नत नमाज़ की नीयत-
अब हम सुन्नत नमाज़ की नियत पर गौर करेंगे इसमें कुछ अलग नहीं है बस फ़र्ज़ की जगह सुन्नत का नाम लेना है।
मैं नीयत करता हूँ 2 या 4 रक्अत नमाज़ सुन्नत, वक्त फजर, जुहर, असर, मगरिब या इशा, वास्ते अल्लाह के, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ।
नफ़्ल नमाज की नीयत –
सुन्नत नमाज़ ही की तरह नफ़्ल नमाज की नीयत भी की जाती है, सिर्फ नमाज़ सुन्नत के बजाय नमाज़ नफ्लकहा जाता है।
जैसे – मैं नीयत करता हूँ दो रकात नमाज़ नफ़्ल इशा, वास्ते अल्लाह के, रुख़ मेरा काबा. शरीफ की तरफ।
मुझे उम्मीद हैं की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी ”NAMAZ KI NIYAT KA TARIKA IN HINDI” आपके लिए बेहतर साबित होगी। किसी प्रकार की सहायता के लिए कमेंट करें।
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