मस्जिद के आदाब और अहकामे मस्जिद | Masjid Ke Aadaab OR Ahakaame Masjid
दोस्तों, हम किसी भी ख़ास जगह पर हों तो वहां के कुछ आदाब होते हैं और उन का हमें ख़याल रखना होता है |
उसी तरह मस्जिद जो अल्लाह ﷻ का घर है वो सब से ज्यादा हक़दार है इस बात का कि उस का अदब किया जाये और मस्जिद के जो आदाब ( Etiquettes Of Mosque ) बताये गए हैं उन पर ठीक से अमल किया जाये | Ghusl Ka Tarika
मस्जिद के आदाब पर अमल करने का फायदा
क़ुरतुबी ने 15 आदाब लिखने के बाद फ़रमाया है कि जिसने ये काम कर लिए उसने मस्जिद का हक अदा कर दिया और मस्जिद उसके लिए हिफाज़त और अमन की जगह बन गयी | NAMAZ KI NIYAT
जब मस्जिद में दाखिल हो तो पहले दुरूद शरीफ के बाद दुआ पढ़े ।
Masjid – मस्जिद में दाखिल होते वक्त पहले सीधा (दाहिना) पैर
मस्जिद में दाखिल होते वक्त की दुआ | Masjid Mein Dakhil Hone Ki Dua
अल्लाहुम्म फ तहली अबवा ब रहमतिका
तर्जुमा
जब मस्जिद से निकले तो पहले दुरूद शरीफ के बाद दुआ पढ़े ।
फिर ये दुआ पढ़ते हुए बाहर निकलना है
मस्जिद से निकलते वक्त की दुआ | MASJID SE BAHAR NIKALNE KI DUA
अल्लाहुम्मा इन्नी अस-अलुक मिन फ़दलि क व रहमति क
तर्जुमा
मसला : – मस्जिद की छत का भी मस्जिद ही की तरह अदब व एहतेराम लाजिम है । बिला जरूरत मस्जिद की छत पर चढ़ना ‘ मकरूह है । ( बहारे शरीअत जि , 3 स . 178 )
मसला : – बच्चे को और पागल को जिन से गन्दगी का गुमान हो मस्जिद में ले जाना हराम है । और नजासत का डर न हो तो मकरूह है । मसला : मस्जिद का कूड़ा झाड़ कर ऐसी जगह डाले जहां बे अदबी न हो । Namaz Ka Tarika
मसला : – नापाक कपड़ा पहन कर या कोई भी नापाक चीज़ लेकर मस्जिद में जाना मना है । यूंही नापाक तेल मस्जिद में जलाना , या नापाक गारा मस्जिद में लगाना मना है ।
मसला : – वुजू के बाद बदन का पानी मस्जिद में झाड़ना या मस्जिद में थूकना या नाक साफ़ करना नाजाइज़ है । ( आलमगीरी जि . 1 स . 103 )
मसला : – मस्जिद में इन आदाब का लिहाज़ रखे –
( 1 ) जब मस्जिद में दाखिल हो तो सलाम करे السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ | बशर्ते कि जो लोग वहां मौजूद हों ज़िक्र व दर्स में मश्गूल न हों । और अगर कोई वहां न हो या जो लोग वहां हैं वह जिक्र व दर्स में मश्गूल हों तो यूं कहे
( 2 ) वक़्ते मकरूहा न हो तो दो रकअत तहिय्यतुल मस्जिद अदा करे
( 3 ) खरीद व फरोख्त न करे ।
( 4 ) नंगी तलवार मस्जिद में न ले जाये
( 5 ) मस्जिद में अपनी गायब चीज़ का ऐलान न करे
( 6 ) ज़िक्र के सिवा आवाज बुलन्द न करे ( इस में Mobile भी शामिल है )
( 7 ) दुनिया की बातें न करे
( 8 ) लोगों की गर्दने न फलांगे
( 9 ) जगह के मुतअल्लिक किसी से झगड़ा न करे बल्कि जहां जगह खाली पाये वहां नमाज पढ़ ले और इस तरह न बैठे कि दूसरों के लिए जगह में तगी हो
( 10 ) किसी नमाज़ी के आगे से न गुजरे
( 11 ) मस्जिद में थूक खंकार या कोई गन्दी या घिनावनी चीज न डाले
( 12 ) उंगलिया न चटकाये
( 13 ) नजासत और बच्चों और पागलों से मस्जिद को बचाये
( 14 ) जिक्रे इलाही की कसरत करे । ( माखूज अज़ कुतुबे फिकह )
मसलाः – कच्चा लहसुन , पियाज या मूली खा कर जब तक मुह में बदबू बाकी रहे मस्जिद में जाना जाइज़ नहीं । यही हुक्म हर उस चीज का है जिस में बदबू है कि उससे मस्जिद को बचाया जाये और उसको बगैर दूर किये हुए मस्जिद में न जाया जाये । ( मिश्कात जि . 1 स . 68 )
मसला : – मस्जिद की सफाई के लिए चमगादड़ों और कबूतरों और चिड़ियों के घोंसलों को नोचने में कोई हरज नहीं ।
मसला : – अपने मुहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ना अगरचे जमाअत कम हो जामा मस्जिद से अफ़ज़ल है । अगर मुहल्ले की मस्जिद में जमाअत न हुई हो तो तन्हा जाये और अज़ान व इकामत कह कर अकेले नमाज़ पढ़े यह जामा मस्जिद की जमाअत से अफ़ज़ल है । ( सगीरी वगैरह ) kanzul iman
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