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RoZa kholNe ki Dua
हदीस न. 1 : बुख़ारी व मुस्लिम व तिर्मिज़ी सहल इब्ने सअद रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं हमेशा लोग खैर के साथ रहेंगे जब तक इफ्तार में जल्दी करेंगे।
हदीस न. 2 : इब्ने हब्बान सहीह में उन्हीं से रावी कि फ़रमाया उम्मत मेरी सुन्नत पर रहेगी जब तक इफ़्तार में सितारों का इन्तिज़ार न करे।
हदीस न. 3 : अहमद व तिर्मिज़ी व इब्ने ख़ुजैमा व इब्ने हब्बान अबू हरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि अल्लाह तआला ने फ़रमाया मेरे बन्दों में मुझे ज़्यादा प्यारा वह है जो इफ्तार में जल्दी करता है।
हदीस न: 4 : तबरानी औसत में याला इब्ने मुर्रह रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि फ़रमाया तीन चीज़ों को अल्लाह महबूब रखता है इफ्तार में जल्दी करना और सहरी में ताख़ीर (देरी) और नमाज़ में हाथ पर हाथ रखना।
? नमाज़ की शर्ते
हदीस न. 5 : अबू दाऊद व इब्ने ख़ुज़ैमा व इब्ने हब्बान अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं ये दीन हमेशा गालिब रहेगा जब तक लोग इफ्तार में जल्दी करते रहेंगे और यहूद व नसारा (ईसाई) ताख़ीर करते हैं।
हदीस न. 6 : इमाम अहमद व अबू दाऊद और तिर्मिज़ी व इब्ने माजा व दारमी सलमान इब्ने आमिर ज़बी रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी हुजूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं जब. तुम में कोई रोजा इफ़्तार करे तो खजूर या छुआरे से इफ्तार करे कि वह बरकत है और अगर न मिले तो पानी से कि वह पाक करने वाला है।
हदीस न. 7 : अबू दाऊद व तिर्मिज़ी अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम नमाज़ से पहले तर खजूरों से रोजा इफ्तार फ़रमाते तर खजूरे न होतीं तो चन्द ख़ुश्क खजूरों से और यह भी न होतीं तो चन्द चुल्लू पानी पीते अबू दाऊद ने रिवायत की कि हुजूर इफ़्तार के वक़्त यह दुआ पढ़ते।
हदीस न. 8 : नसई व इब्ने खुजेमा जैद इल्ने खालिद जुहनी रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि फरमाया जो रोज़ादार का रोज़ा इफ्तार कराये या गाजी का सामान कर दे तो उसे भी उतना ही मिलेगा।
हदीस न. 9 : तबरानी कबीर में सलमान फारसी रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जिसने हलाल खाने या पानी से रोजा इफ्तार कराया फ़रिश्ते माहे रमज़ान के औकात में उसके लिए इस्तिगफार करते हैं और जिब्रील अलैहिस्सलातु वस्सलाम शबे कद उसके लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं और एक रिवायत में है जो हलाल कमाई से रमज़ान में रोजा इफ्तार कराएगा रमज़ान की तमाम रातों में फ़रिश्ते उस पर दुरूद भेजते हैं और शबे कद में जिब्रील उससे मुसाफा करते हैं और एक रिवायत में है जो रोज़ादार को पानी पिलायेगा अल्लाह तआला उसे मेरे हौज़ से पिलाएगा कि जन्नत में दाखिल होने तक प्यासा न होगा।
? शबे कद्र की नवाफ़िल नमाज़ – Shab E Qadr Ki Nawafil Namaz
( ? बहारे शरीअत – पाँचवा हिस्सा 137/138 )
रोज़ा इफ़्तार करने की दुआ
Roza Kholne Ki Dua in Arabic !
اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ
हिंदी में रोजा खोलने की दुआ
Dua In Hindi : अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुम्तु व बिका आमन्तु व अलैका त वक्कलतू व अला रिज़ किका अफ्तरतु
इंग्लिश मे रोजा खोलने की दुआ
Dua In English : Allahumma Inni Laka Sumtu Wabika Aamantu Wa Alaika Tawakkaltu Wa Ala Rizqika Aftartu
Translation : ए अल्लाह ! मैंने तेरे लिए रोज़ा रखा, और तुझ ही पर ईमान लाया, और तुझ ही पर तवक्कुल किया, और तेरे ही रिज्क से इफ़्तार किया |
सुन्नत यह है कि इफ़तार में जल्दी की जाए यानी जूं ही इफ़तार का वक्त हो जाए ! बिला ताखीर इफ़तार कर ली जाए । एक हदीस में है कि नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ! जब रात आए और दिन चला जाए ! और सूरज पूरे तोर पर छुप जाए ! तो अब रोज़ादार अपना रोजा इफ़तार करें ।
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