तरावीह की नमाज का बयान | Travih Ki Namaz Ka Bayaan
मसला : – मर्द व औरत सब के लिए तरावीह सुन्नते मुअक्कदा है । इसका छोड़ना जाइज़ नहीं । औरतें घरों में अकेले अकेले तरावीह पढ़ें । मस्जिदों में न जायें । ( दुर्रे मुख्तार जि . 1 स . 472 )
मसला : – तरावीह बीस रकअतें दस सलाम से पढ़ी जायें । यानी हर दो रकअत पर सलाम फेरे और हर चार रकअत पर इतनी देर बैठना मुस्तहब है जितनी देर में चार रकअतें पढ़ी हैं । और इख़्तियार है कि इतनी देर चाहे चुपका बैठा रहे । चाहे कलिमा या दुरूद शरीफ़ पढ़ता रहे । या कोई भी दुआ पढ़ता रहे । आम तौर से यह दुआ पढ़ी जाती है — ( दुर्रे मुख्तार जि . 1 स . 474 )
मसलाः – मर्दों के लिए तरावीह जमाअत से पढ़ना सुन्नते किफाया है । यानी अगर मस्जिद में तरावीह की जमाअत न हुई तो मुहल्ले के सब लोग गुनहगार होंगे । और अगर कुछ लोगों ने मस्जिद में जमाअत से तरावीह पढ़ ली तो सब लोग बरीउज्जिम्मा हो गए । ( दुर्रे मुख्तार जि . 1 स . 472 ) Ghusl Ka Tarika
मसला : – पूरे महीने की तरावीह में एक बार कुरआन मजीद खत्म करना सुन्नते मुअक्कदा है और दो बार खत्म करना अफ़ज़ल है । और तीन बार खत्म करना इससे ज्यादा फजीलत रखता है बशर्ते कि मुकतदियों को तकलीफ में न हो । मगर एक बार खत्म करने में मुकतदियों की तकलीफ का लिहाज नहीं किया जाएगा । ( दुर्रे मुख्तार जि , 1 स . 475 ) NAMAZ KI NIYAT
मसला : – जिसने इशा की फर्ज नमाज नहीं पढ़ी वह न तरावीह पढ़ सकता है न वित्र , जब तक फर्ज न अदा करे ।
मसला : – जिसने इशा की फर्ज तन्हा पढ़ी और तरावीह जमाअत से तो वह वित्र को तन्हा पढ़े । ( दुर्रे मुख्तार व रद्दुलमुहतार जि . 1 स . 476 ) वित्र को जमाअत से वही पढ़ेगा जिसने इशा के फर्ज को जमाअत के साथ पढ़ा हो । Namaz Ka Tarika
मसला : – जिसकी तरावीह की कुछ रकअतें छूट गई हैं और इमाम वित्र पढ़ाने के लिए खड़ा हो जाये तो इमाम के साथ वित्र की नमाज जमाअत से पढ़ ले फिर उसके बाद तरावीह की छूटी हुई रकअतों को अदा करे । बशर्ते कि इशा का फर्ज जमाअत से पढ़ चुका हो । और अगर छूटी हुई तरावीह की रकअतों को अदा करके वित्र तन्हा पढ़े तो यह भी जाइज है । मगर पहली सूरत अफ़ज़ल है । ( आलमगीरी व रद्दलमुहतार ) Shab E Meraj Ki Nawafil Namaz
मसला : – अगर किसी वजह से तरावीह में खत्मे कुरआन न हो सके तो सूरतों से तरावीह पढ़े । और इसके लिए बाज लोगों ने यह तरीका रखा है कि अलमत – र – कैफ से आखिर तक दो बार पढ़ने में बीस रकअतें हो जायेगा । ( दुर्रे मुख्तार जि . 1 स . 475 )
मसला : – बिला किसी उज़्र के बैठ कर तरावीह पढ़ना मकरूह है । बल्कि बाज़ फुकहा के नज़दीक तो होगी ही नहीं । ( दुर्रे मुख्तार जि . 1 . 475 ) हां अगर बीमार या बहुत ज्यादा बूढ़ा और कमजोर हो तो बैठ कर तरावीह पढ़ने में कोई में कराहत नहीं । क्योंकि यह बैठना उज़्र की वजह से है । Shab E Qadr Ki Nawafil Namaz
मसला : – नाबालिग किसी नमाज़ में इमाम नहीं बन सकता । इसी तरह नाबालिग के पीछे बालिगों की तरावीह नहीं होगी । साहेबे हिदाया व साहेबे फतहुल – कदीर ने इसी कौल को मुख्तार बताया है । ( बहारे शरीअत ) Shab E Barat Ki Nawafil Namaz