रमज़ान है चला, माह-ए-रमज़ान है चला
रमज़ान है चला, माह-ए-रमज़ान है चला
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रोती है आँख दिल है परेशान या ख़ुदा
अब छोड़ के चला हमें रमज़ान या ख़ुदा
फिर से दिखाना तू माह-ए-ग़ुफ़रान या ख़ुदा
हम आसियों का है यही अरमान या ख़ुदा
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
आने से तेरे दिल को मिली थी मसर्रतें
हम आसियों पे रब की बरसती थी रहमतें
हर शख़्स शादमां था तेरी पा के नेअमतें
तेरे तुफैल रब ने अता की थी बरकतें
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
इफ़्तार की वोह रौनक़ें, सहरी की लज़्ज़तें
आती है याद मुझ को तरावीह की साअतें
क़ुरआन की तिलावतें, सज्दों की कसरतें
अब छोड़ के चली हमें रमज़ां की ज़ीनतें
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
जाने से तेरे रोते थे अल्लाह के नबी
और आप के सहाबा तड़प जाते थे सभी
ऐ मोमिनों ! क्या तुम ने भी ऐसा किया कभी
या सिर्फ़ तुम ने ईद की हासिल है की ख़ुशी
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
हक़ तेरी मोहब्बत का ना हम कर सके अदा
तुझ माह-ए-मुक़द्दस में भी करते रहे ख़ता
हम तेरे गुनहगार हैं होना न तू ख़फ़ा
राज़ी तू हम से रहना ख़ुदा के लिये सदा
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
ऐ रब्ब-ए-काएनात ﷻ के मेहमान ! अस्सलाम
आसिम की जान तुझ पे है क़ुरबान ! अस्सलाम
हम हो सके न तेरे क़दरदान ! अस्सलाम
अपने अमल पे हम हैं पशेमान ! अस्सलाम
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
रमज़ान अल-वदाअ़, माह-ए-रमज़ान अल-वदाअ़
शायर:
मुहम्मद आसिमुल क़ादरी
नातख्वां:
हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी और हाफ़िज़ अहसन क़ादरी