Namaz Rakat – Namaz Time
अक्सर देखा गया है कि नमाज के वक्त Namaz Rakat याद नहीं होती बहुत सारे लोग इंटरनेट पर सर्च करते हैं कि असर की नमाज में कितनी रकात है या मगरिब की नमाज में कितनी रकात या तो किसी गलतफहमी की वजह से लोग नमाज के अंदर कुछ अलग ही तरह की रकाते पढ़ते हैं इसलिए हम आज यहां सभी नमाज की रकात के साथ पोस्ट कर रहे हैं | अगर यहां पर कोई रकात छूट जाती है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं
Fajr Namaz Rakat
(1) नमाज़े फ़ज्र की रकअतें
- 2 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत फ़र्ज़
- नमाज़े फज़्र सब मिलाके 4 रकअतें है
मुस्लिम व तिर्मिज़ी उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से रावी फरमाते हैं सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फज्र की दो रकअतें दुनिया व माफीहा यानी जो कुछ दुनिया में है उससे बेहतर हैं
Zohar Namaz Rakat
(2) नमाज़े ज़ोहर की रकअतें
- 4 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 4 रकअत फ़र्ज़
- 2 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत नफ़्ल
- नमाज़े ज़ोहर सब मिलाके 12 रकअतें है
अहमद व अबू दाऊद व तिर्मिज़ी व नसाई व इब्ने माजा उम्मुल मोमिनीन उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा से रावी कि फरमाते हैं सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो शख्स ज़ोहर से पहले चार और बाद में चार रकतों पर मुहाफ़ज़त करे अल्लाह तआला उसको आग पर हराम फरमा देगा।
अबू दाऊद व इब्ने माजा अबू अय्यूब अंसारी रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि फरमाते हैं सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जोहर से पहले चार रकअतें जिनके दरमियान में सलाम न फेरा जाए उनके लिए आसमान के दरवाजे खोले जाते हैं।
Asar Namaz Rakat
(3) नमाज़े अस्र की रकअतें
- 4 रकअत सुन्नत ग़ैर मोकादा
- 4 रकअत फ़र्ज़
- नमाजे अस्र सब मिलाके 8 रकअतें है
अहमद व अबू दाऊद व तिर्मिजी अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी फ़रमाते हैं सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला उस शख्स पर रहम करे जिसने अस्र से पहले चार रकअतें पढ़ीं।
Maghrib Rakat
(4) नमाज़े मगरिब की रकअतें
- 3 रकअत फ़र्ज़
- 2 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत नफ़्ल
- नमाजे मगरिब सब मिलाके 7 रकअतें है
तिर्मिज़ी व इब्ने माजा अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि फरमाते हैं कि जो शख्स मगरिब के बाद छः रकअतें पढ़े और उनके दरमियान में कोई बात न कहे तो बारह बरस इबादत के बराबर की जायेंगी।
Isha Namaz Rakat
(5) नमाज़े इशा की रकअतें
- 4 रकअत सुन्नत ग़ैर मोकादा
- 4 रकअत फ़र्ज़
- 2 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत नफ़्ल
- 3 रकअत वित्र वाजिब
- 2 रकअत नफ़्ल
- नमाज़े इशा सब मिलाके 17 रकअतें है
तिर्मिज़ी की रिवायत उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा से है जो मगरिब के बाद बीस रकअतें पढ़े अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत में एक मकान बनाएगा।
अबू दाऊद की रिवायत उन्हीं से है फरमाती हैं इशा की नमाज़ पढ़कर नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरे मकान में तशरीफ लाते तो चार या छः रकअतें पड़ते।
अबू दाऊद व तिर्मिज़ी व निसाई व इब्ने माजा मौला अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह वित्र (बेजोड़) है वित्र को महबूब रखता है। लिहाजा ऐ कुआन वालो! वित्र पढ़ो और उसी के मिस्ल जाबिर व अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी ।
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Qaza Namaz Rakat
सिर्फ फर्ज अदा करें
- नमाज़े फ़ज्र : 2 फ़र्ज़ । (नमाज़े फज़्र 2 रकअतें )
- नमाज़े ज़ोहर : 4 फ़र्ज़ । (नमाज़े ज़ोहर 4 रकअतें )
- नमाज़े अस्र : 4 फ़र्ज़ । (नमाजे अस्र 4 रकअतें )
- नमाज़े मगरिब : 3 फ़र्ज़ । (नमाजे मगरिब 3 रकअतें )
- नमाज़े इशा : 4 फ़र्ज़ 3 वित्र वाजिब। (नमाज़े इशा 7 रकअतें)
- जुम्मा न होने पर जोहर की 4 रकअत फ़र्ज़ नमाज अदा करें
कज़ा के लिए कोई वक्त मुअय्यन (मुकर्रर) नहीं। उम्र में जब पढ़ेगा बरीउज्ज़िम्मा हो जायेगा। तुलू व गुरूब और ज़वाल के वक्त कि इन तीन वक़्तों में नमाज़ जाइज़ नहीं। (यानी इन तीन वक्तों के अलावा उम्र में किसी भी नमाज़ की क़ज़ा किसी भी वक्त में पढ़ सकता है) । (आलमगीरी)
Jumma Namaz Rakat
नमाज़े जुम्मा की रकअतें
- 4 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत फ़र्ज़
- 4 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत सुन्नत ए मोकादा
- 2 रकअत नफ़्ल
- नमाज़े जुम्मा सब मिलाके 14 रकअतें है
अता से मरवी कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जो मुसलमान मर्द या मुसलमान औरत जुमे के दिन या जुमे की रात में मरे अजाबे कब्र और फ़ितनए कब्र से बचा लिया जाएगा और ख़ुदा से इस हाल में मिलेगा कि उस पर कुछ हिसाब न होगा और उसके साथ गवाह होंगे कि उसके लिए गवाही देंगे या मुहर होगी।
Taraweeh Rakat
- 20 रकअत सुन्नत ए मोकादा है
मसअला :- तरावीह मर्द व औरत सब के लिए बिल इजमा यानी सबके नज़दीक सुन्नते मुअक्कदा इसका तर्क जाइज़ नहीं (दुर्रे मुख्तार वग़ैरा ) इस पर खुलफाए राशेदीन रदियल्लाहु तआला अन्हुम ने मुदावमत फ़रमाई यानी हमेशा पढ़ी और नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि मेरी सुन्नत और सुन्नते खुलफाए राशेदीन को अपने ऊपर लाज़िम समझो और खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने भी तरावीह पढ़ी और उसे बहुत पसंद फ़रमाया। सही मुस्लिम में अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी इरशाद फ़रमाते हैं जो रमज़ान में कियाम करे ईमान की वजह से और सवाब तलब करने के लिए उसके अगले गुनाह बख़्श दिये जायेंगे यानी सग़ाइर (छोटे-छोटे गुनाह )
Taraweeh Ki Dua
सुब्हा-न जिल मुल्कि वल म-ल- कृति सुब्हान ज़िल इज्जति वल अज़्मति वल हैबति वल कुदरति वल किब्रियाइ वल ज-ब-रूति सुब्हानल मलिकिल हय्यिल्लजी ला यनामु व ला यमूतु सुब्बुहुन कुददूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकाति वर्रुह अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि या मुजी या मुजीरु या मुजीर•
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Eid Namaz Rakat
Eid Ul Fitr Namaz Rakat
- 2 रकअत वाजिब है
Eid Ul Adha Namaz Rakat
- 2 रकअत वाजिब है
तिर्मिज़ी व इब्ने माजा व दारमी व बुरीदा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ईदुल फित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिए तशरीफ़ ले जाते और ईदे अज़हा को न खाते जब तक नमाज़ न पढ़ लेते और बुखारी की रिवायत अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से है कि ईदुल फित्र के दिन तशरीफ़ न ले जाते जब तक चन्द खजूरें न +तनावुल फ़रमा लेते और खजूरें ताक (विषम) होतीं यानी तीन, पाँच, सात वगैरह।
तम्बीह :- नवाफिल तो बहुत कसीर हैं। औकाते ममनूआ (जिन वक्तों में नमाज़ मना है) के सिवा आदमी जितने चाहे पढ़े मगर इनमें से बाज़ जो हुजूर सय्यदुल मुरसलीन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम व अइम्मए दीन रदियल्लाहु तआला अन्हुम से मरवी हैं बयान किये जाते हैं।
Tahiyatul Masjid Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल है
Tahiyatul Masjid Namaz Ka Tarika
तहिय्यतुल मस्जिद :- जो शख्स मस्जिद में आए उसे दो रकअत नमाज़ पढ़ना सुन्नत है बल्कि बेहतर यह है कि चार पढ़े बुखारी व मुस्लिम अबू कतादा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूर अकदस सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जो शख्स मस्जिद में दाखिल हो बैठने से पहले दो रकअत पढ़ ले।
ऐसे वक्त मस्जिद में आया जिसमें नफ़्ल नमाज़ मकरूह है मसलन बादे तुलए फज्र या बादे नमाज़े अस्र वह तहिय्यतुल मस्जिद न पढे बल्कि तस्बीह व तहलील व दुरूद शरीफ में मशगूल हो मस्जिद का हक अदा हो जाएगा। (रद्दल मुहतार)
Tahiyatul Wudu Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल है
Tahiyatul Wudu Namaz Ka Tarika
तहिय्यतुल वुजू :- वुज़ू के बाद आज़ा खुश्क होने से पहले दो रकअत नमाज पढ़ना मुस्तहब है। सही मुस्लिम में है नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स वुजू करे और अच्छा वुजू करे और जाहिर व बातिन के साथ मुतवज्जेह होकर दो रकअत पढ़े उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती है।
गुस्ल के बाद भी दो रकअत नमाज मुस्तहब है वुजू के बाद फर्ज वगैरा पढ़े तो तहिय्यतुल वुजू की जगह हो जाएंगे। (रद्दल मुहतार)
Ishraq Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल है
नमाजे इशराक :- तिर्मिजी अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि फरमाते हैं सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो फज्र की नमाज जमाअत से पढ़कर जिक्रे ख़ुदा करता रहा यहाँ तक कि आफताब बलन्द हो गया फिर दो रकअतें पढ़े तो उसे पूरे हज व उमरा का सवाब मिलेगा।
Ishraq Time
06:30 AM 09:20 AM
आफताब बलन्द हो जाने के बाद
Chasht Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल या
- ज्यादा से ज्यादा 12 रकअत नफ़्ल है
नमाजे चाश्त:- अहमद व तिर्मिज़ी व इब्ने माजा अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि फरमाते हैं सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो चाश्त की दो रकअतों पर मुहाफ़िज़त करे यानी हमेशा पढ़ता रहे तो उसके गुनाह बख़्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग बराबर हों ।
इसका वक़्त आफ़ताब बलन्द होने से ज़वाल यानी निसफ़ुन्नहारे शरई तक है और बेहतर यह है कि चौथाई दिन चढ़े तब पढ़े। (आलमगीरी, रद्दल मुहतार)
Chasht Namaz Time
09:27 AM 11:50 AM
आफ़ताब बलन्द होने से ज़वाल तक
Safar Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल है
नमाज़े सफर :- सफ़र में जाते वक़्त दो रकअत अपने घर पर पढ़कर जाए। तबरानी की हदीस में है कि किसी ने अपने अहल (घर वालों) के पास उन दो रकअतों से बेहतर कुछ न छोड़ा जो सफ़र के इरादे के वक्त उन के पास पढ़ीं।
Vaapasee Safar Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल है
नमाज़े वापसीए सफर :- सफ़र से वापस होकर दो रकअतें मस्जिद में अदा करे। सही मुस्लिम में कअब इब्ने मालिक रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम सफ़र से दिन में चाश्त के वक़्त तशरीफ लाते और पहले मस्जिद में जाते और दो रकअतें उसमें नमाज़ पढ़ते फिर वहीं मस्जिद में तशरीफ़ रखते।
मुसाफिर को चाहिए कि हर मन्जिल में बैठने से पहले दो रकअत नफ़्ल पढ़े जैसे हुज़ूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम किया करते थे। (रद्दल मुहतार)
Tahajjud Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल या
- ज्यादा से ज्यादा 8 रकअत नफ़्ल है
कम से कम तहज्जुद की दो रकअतें हैं और हुज़ूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से आठ तक साबित हैं। नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख़्स रात में बेदार हो और अपने अहल को जगाए फिर दोनों दो रकअत पढ़ें तो कसरत से यादे ख़ुदा करने वालों में लिखे जायेंगे इस हदीस को नसई व इब्ने माजा अपनी सुनन में और इब्ने हब्बान अपनी सही में और हाकिम ने मुस्तदरक में रिवायत किया है। (रद्दल मुहतार)
सही बुखारी व मुस्लिम में अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि रब तआला हर रात में जब पिछली तिहाई बाकी रहती हैं आसमाने दुनिया पर तजल्लीए ख़ास फ़रमाता है और फ़रमाता है, है कोई दुआ करने वाला कि उसकी दुआ कबूल करूँ, है कोई मांगने वाला कि उसको दूँ, है कोई मगफिरत चाहने वाला कि उसकी बख़्शिश करूँ और सबसे बढ़ कर तो यह कि यह नमाज़ नमाज़े दाऊद है कि बुख़ारी व मुस्लिम अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया सब नमाज़ों में अल्लाह तआला को ज़्यादा महबूब नमाज़े दाऊद है कि आधी रात सोते और तिहाई रात इबादत करते फिर छठे हिस्से में सोते ।
Tahajjud Time
11:00 PM 04:40 AM
रात का तिहाई हिस्सा
Istikhara Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल है
नमाज़े इस्तिखारा :- हदीसे सही जिसको मुस्लिम के सिवा जमाअते मुहद्दिसीन ने जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत किया फ़रमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हम को तमाम उमूर (कामों) में इस्तिख़ारा की तालीम फ़रमाते जैसे कुअन की सूरत तालीम फ़रमाते थे। फ़रमाते हैं जब कोई किसी अम्र (काम) का इरादा करे तो दो रकअत नफ़्ल पढ़े फिर कहे :-
Istikhara Dua
तर्जमा :- ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से इस्तिख़ारा करता हूँ तेरे इल्म के साथ और तेरी कुदरत के साथ तलबे कुदरत करता हूँ और तुझ से तेरे फज्ले अज़ीम का सवाल करता हूँ इसलिए कि तू कादिर है और मैं कादिर नहीं और तू जानता है और मैं नहीं जानता और तू ग़ैबों का जानने वाला है। ऐ अल्लाह ! अगर तेरे इल्म में यह है कि यह काम मेरे लिए बेहतर है मेरे दीन व मईशत (ज़िन्दगी) और अन्जामकार ( नतीजा ) में या फ़रमाया इस वक्त और आइन्दा में तो इसको मेरे लिए मुकद्दर कर दे और आसान कर फिर मेरे लिए इसमें बरकत दे और अगर तू जानता है कि मेरे लिए यह काम बुरा है मेरे दीन व मईशत और अन्जामकार में या फरमाया इस वक़्त और आइन्दा में तो इसको मुझसे फेर दे और मुझ को इससे फेर और मेरे लिए ख़ैर को मुकर्रर फ़रमा जहाँ भी हो फिर मुझे उस से राज़ी कर ।
Istikhara Ki Dua In Hindi
अल्लहु-म इन्नी अस्तखीरु – क बिइल्मि – क व अस्तक्दिरु-क बिकुदरति-क व असअलु-क मिन फज्लिकल अज़ीम फ-इन्न – क तक्दिरु व ला अक्दिरु व तअलामु व ला अअलमु व अन-त अल्लामुल गुयूबि अल्लाहुम-म इन कुन त तअलमु अन-न हाज़ल अम-रे खैरुल्ली फी दीनी व मआशी व आक़िबति अमरी फक्दुरहु व यस्सिरहु ली सुम-म बारिक ली फीहि व इन कुन -त तअलमु अन त हाज़ल अम- र (1) शरुल्ली फी दीनी व मआशी व आक़िबती अमरी फस्रीफ हु अन्नी वस्रीफनी अन्हु व अक्दुर लियल खै-र हैसु का-न सुम-म अर्जिनी बिही .
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Salatul Tasbeeh Namaz Rakat
- 4 रकअत नफ़्ल है
सलाते तस्बीह :- इस नमाज़ में बेइन्तिहा सवाब है। बाज़ मुहक्किकीन ( बड़े-बड़े उलमा) फरमाते हैं इस नमाज़ की बड़ाई सुन कर तर्क न करेगा मगर दीन में सुस्ती करने वाला। नबी सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते अब्बास रदियल्लाहु तआला अन्हु से फरमाया ऐ चचा! क्या मैं तुमको अता न करूँ, क्या मैं तुमको बख्शिश न करूँ, क्या मैं तुम को न दूँ, क्या तुम्हारे साथ एहसान न करूँ दस ख़सलतें हैं कि जब तुम करो तो अल्लाह तआला तुम्हारा गुनाह बख़्श देगा अगला पिछला पुराना नया जो भूल कर किया और जो कसदन किया छोटा और बड़ा पोशीदा और ज़ाहिर। इसके बाद सलाते तस्बीह की तरकीब तालीम फरमाई फिर फरमाया अगर तुमसे हो सके कि हर रोज़ एक बार पढ़ो तो करो और अगर रोज़ न करो तो हर जुमे में एक बार और यह भी न करो तो हर महीने में एक बार और यह भी न करो तो उम्र में एक बार
Salatul Hajat Namaz Rakat
- 2 रकअत नफ़्ल या
- 4 रकअत नफ़्ल है
Salatul Hajat
नमाजे हाजत :- अबू दाऊद हुज़ैफ़ा रदियल्लाहु तआला अन्हु रावी कहते हैं जब हुजूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को कोई अहम काम पेश आता तो नमाज़ पढ़ते। इसके लिए दो रकअत या चार रकअत पढ़ते। हदीस में है पहली रकअत में सूरए फातिहा और तीन बार आयतल कुर्सी पढ़े और बाकी तीन रकअतों में सूरए फातिहा और कुलहु अल्लाहु अहद. और कुल आउजू बिरब्बिल फ़लक. और कुल आउजू बिरब्बिन्नास. एक-एक बार पढ़े तो यह ऐसी हैं जैसे शबे क़द्र में चार रकअतें पढ़ीं। मशाइख फ़रमाते हैं कि हमने यह नमाज़ पढ़ी और हमारी हाजतें पूरी हुई। एक हदीस में है जिसको तिर्मिज़ी व इब्ने माजा ने अब्दुल्लाह इब्ने अबी औफ़ा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत किया कि हुजूर अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं जिसकी कोई हाजत अल्लाह की तरफ़ हो या किसी बनी आदम की तरफ़ तो अच्छी तरह वुजू करे फिर दो रकअत नमाज़ पढ़कर अल्लाह तआला की सना करे और नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजे फिर यह पढ़े :-
Dua E Hajat
Salatul Hajat Ki Dua Translation In Hindi
तर्जमा :- अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं जो हलीम व करीम है पाक है अल्लाह मालिक है अर्शे अज़ीम का। हम्द है अल्लाह के लिए जो रब है तमाम जहान का मैं तुझ से तेरी रहमत के असबाब मांगता हूँ और तलब करता हूँ तेरी बख्शिश के ज़रिए और हर नेकी से ग़नीमत और हर गुनाह से सलामती को मेरे लिए कोई गुनाह बग़ैर मगफिरत न छोड़ और हर ग़म को दूर कर दे और जो हाजत तेरी रज़ा के मुवाफिक है उसे पूरा कर दे ऐ सब मेहरबानों से ज़्यादा मेहरबान ।