Camel Ki Zakat » ऊँट की ज़कात
Camel Ki Zakat
सहीहैन में अबू सईद ख़ुदरी रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं पाँच ऊँट से कम में ज़कात नहीं और इसकी ज़कात में तफ़सील सही बुख़ारी शरीफ़ की उस हदीस में है जो अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी। मसअला : पाँच ऊँट से कम में जकात वाजिब नहीं और जब पाँच या पाँच से ज़्यादा हों मगर पैंतीस से कम हों तो हर पाँच में एक बकरी वाजिब है यानी पाँच हों तो एक बकरी दस हों तो दो, इसी तरह समझ
(आम्मए कुतुब)
मसअला : जकात में जो बकरी दी जाये वह साल भर से कम की न हो, बकरी दें या बकरा इसका इख्तियार है।
(रद्दुल मुहतार वगैरा)
मसअला : दो निसाबों के दरमियान में जो हों वह अफ़्व (माफ़) हैं यानी उनकी कुछ ज़कात नहीं मसलन सात-आठ हों जब भी वही एक बकरी है।
(दुर्रे मुख़्तार)
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ऊँट की ज़कात
मसअला : Camel Ki Zakat पच्चीस ऊँट हों तो एक बिन्ते मख़ाज़ यानी ऊँट का मादा बच्चा जो एक साल का हो चुका दूसरी बरस में हो, पैंतीस तक यही हुक्म है यानी वही बिन्ते मख़ाज़ देंगे। छत्तीस से पैंतालीस तक में एक बिन्ते लबून यानी ऊँट का मादा बच्चा जो दो साल का हो चुका और तीसरी बरस में है। छियालीस से साठ तक में हिक्का यानी ऊँटनी जो तीन बरस की हो चुकी चौथी में हो। इकसठ से पचहत्तर तक में जिज़आ यानी चार साल की ऊँटनी जो पाँचवी में हो। छिहत्तर से नव्वे तक में दो बिन्ते लबून। इक्कानवे से एक सौ बीस तक में दो हिक्का। इसके बाद एक सौ पैंतालीस तक दो हिक्का और हर पाँच में एक बकरी मसलन एक सौ पच्चीस में दो हिक्का एक बकरी और एक सौ तीस में दो हिक्का दो बकरियाँ इसी तरह आगे समझ लें फिर एक सौ पचास में तीन हिक्का अगर इससे ज्यादा हों तो इनमें वैसा ही करें जैसा शुरू में किया था यानी हर पाँच में एक बकरी और पच्चीस में बिन्ते मख़ाज़, छत्तीस में बिन्ते लबून यह एक सौ छियासी बल्कि एक सौ पंचानवे तक का हुक्म हो गया यानी इतने में तीन हिक्का और एक बिन्ते लबून फिर एक सौ छियानवे से दो सौ तक चार हिक्का और यह भी इख़्तियार है कि पाँच बिन्ते लबून दे दे। फिर दो सौ के बाद वही तरीका बरतें जो एक सौ पचास के बाद है यानी हर पाँच में एक बकरी पच्चीस में बिन्ते मखाज छत्तीस में बिन्ते लबून फिर दो सौ छियालीस से दो सौ पचास तक पाँच हिक्का और इसी तरह आगे समझ
(आम्मए कुतुब)
मसअला : ऊँट की ज़कात में जिस मौके पर एक या दो या तीन या चार साल का ऊँट का बच्चा दिया जाता है तो ज़रूर है कि वह मादा हो नर दें तो मादा की कीमत का हो वरना नहीं लिया जायेगा।
(दुर्रे मुख़्तार)