सूर्य और चंद्र ग्रहण की नमाज़
सूरज ग्रहण की नमाज़ सुऩ्नते मुअक्कदा और चाँद ग्रहण की नमाज़ मुस्तहब है । सूरज ग्रहणे की नमाज़ जमाअत से पढ़नी मुस्तहब हे । और तन्हा तन्हा भी हो सकती है । अगर जमाअत से पढ़ी जाये तो खुतबा के सिवा जुमा की तमाम शर्तें उसके लिए शर्त हैं । वही शख्स उसकी जमाअत काइम कर सकता है जो जुमा की जमाअत काइम कर सकता हो । अगर वह न हो तो लोग तन्हा तन्हा पढ़े चाहे घर में पढ़े या मस्जिद में ।
मसला – ग्रहण की नमाज़ नफ्ल की तरह दो रकअत लम्बी लम्बी सूरतों के साथ पढ़ें । फिर उस वक़्त तक दुआ मांगते रहें कि ग्रहण खत्म हो जाये ।
मसला : – ग्रहण की नमाज़ में न अज़ान है न इकामत |🎁 अज़ान का तरीका | न बुलन्द आवाज़ ( दुर्रे मुख्तार जि . 1 स . 565 ) से किरअत ।