10 BiBi Ki Kahani

10 बीबी की कहानी | 10 BiBi Ki Kahani

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10 BiBi Ki Kahani: दो भाई एक शहर में रहते थे। बड़ा भाई बहुत बड़ा रईस था और छोटा भाई बहुत नादार और मुफ़लिस और ग़रीब था । छोटा भाई अपनी मुफ़लिसी और नादारी की वजह से आजिज़ परेशान हो गया था। अपनी बीवी से कहने लगा, कि यहाँ पर हम कब तक भूख और मुहताजी की मुसीबत सहें। अब मैं परदेस जाता हूँ। शायद मुझको कहीं नौकरी मिल जाए और ये मुसीबत के दिन कट जाएं। यह कहकर वह शख्स अपनी बीवी से रुख़्सत (विदा) होकर शहर में तलाशे रोज़गार के लिए चला गया और उसकी बीवी हद से ज़्यादा परेशान थी। दिल में कहती, ऐ पालने वाले रब, तू ही रोजी देने वाला है। अब तो मेरा शौहर भी चला गया, अब मुझको खाना कौन देगा। ये मोमिना जब बहुत मजबूर हो गई तो अपने शौहर के बड़े भाई के यहाँ गई और रोकर कहने लगी-भाई, मैं क्या करूं और कहाँ जाऊँ? तुम्हारा भाई मुझको अकेला छोड़कर नौकरी के लिए परदेस चला गया। अब सिवाए आपके घर के मैं कहाँ जाऊँ, आप ही का सहारा है।

वह रईस अपनी बीवी से कहने लगा कि ये मेरी छोटी भाभी है। तुम इससे घर का काम कराओ। ये तुम्हारे बच्चों की ख़िदमत करेगी। इसको तुम जो कुछ अपने खाने से बाकी रहे दिया करो। ग़र्ज़ कि ये मोमिना मुसीबत की मारी उसके यहाँ काम करती। बच्चों की ख़िदमत और तमाम घर का काम इसको करना पड़ता। इस पर भी रईस की बीवी उसे ताना देती और अपना झूठा खाना इस ग़रीब को देती। ये वक़्त की मारी उसी को खाकर अल्लाह का शुक्र अदा करती। दिन भर इसको काम से फुसरत न मिलती। रात को ये अपनी बर्बादी और बेइज़्ज़ती पर खून के आंसू रोती और इसी तरह एक मुद्दत गुज़र गई। रात भर दुआ मांगकर गुज़ारती थी और अपने शौहर की वापसी की रो- रोकर दुआएं करती थी। एक रात इसी हालत में ये मोमिना रोते- रोते सो गई तो उसने ख़्वाब में देखा कि एक बीबी नक़ाबपोश तशरीफ़ लाईं और फ़रमाया, ऐ मोमिना, तू अपने शौहर के लिए इस क़दर बेचैन न हो। इन-शा अल्लाह तेरा शौहर सही और सलामत तुझसे आकर मिलेगा। तुम जुमेरात के दिन दस बीबियों की कहानी सुनो। मुसीबत को दूर करने के लिए दस बीबियों की कहानी सुनना बहुत मुफीद और आज़माया हुआ है।

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परवरदिगारे आलम कुरआन पाक में इरशाद फ़रमाता है- ऐ मरियम, तुझको ख़ुदा ने बर्गज़ीदा किया और तमाम गुनाहों और बुराइयों से पाक और साफ़ रखा और सारे जहाँ की औरतों में चुन लिया है।

10 BiBi Ki Kahani In Hindi

इस आयत से मालूम होता है कि जनाब मरियम का मर्तबा बहुत बुलन्द और बहुत बड़ा है। इस्लाम में चार औरतें ऐसी गुज़री हैं, जिनकी मिसाल नहीं मिलती। हमारी शहज़ादी हज़रत सय्यदा ताहिरा फ़ातिमा जहरा रज़ियल्लाहु अन्हा जिनका दर्जा इन सब बीबियों से अफ़ज़ल है। दूसरी हज़रत हाजरा । तीसरी फ़िरऔन की बीवी आसिया। ये बनी इसराईल के ख़ानदान की लड़की थीं। इनके बाप का नाम मराहम था और सारा घराना बनी इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर था। बचपन से इनको ख़ुदापरस्ती की तालीम मिली थी। ऐसी मुक़द्दस बीबी की शादी फ़िरऔन जैसे बदजात से हो गई थी। शायद ख़ुदा को मन्जूर था कि हज़रत मूसा व हारून अलैहिस्सलाम की परवरिश उनकी गोद में हो । नबी अल्लाह की परवरिश काफ़िर की गोद में न हो।



शादी से पहले फ़िरऔन और इन्सानों की तरह इन्सान था। बाद में सल्तनत और ख़ज़ानों की गर्मी और घमण्ड से अपने को ख़ुदा समझने लगा। एक दिन आसिया बीवी से कहने लगा कि मैं देख रहा हूँ कुछ दिन से मेरी अजीब हालत है। आसिया ने कहा, कि मुझे अफ़सोस है कि तू इन्सान होकर ख़ुदा मनवाने लगा। इस पर फ़िरऔन ने कहा, क्या तू मूसा व हारून अलैहिस्सलाम के ख़ुदा पर ईमान ले आई। आसिया ने कहा कि आज चालीस साल हो गए। फ़िरऔन ने कहा कि क्या तुझे मेरा ख़ौफ़ नहीं है? आसिया ने कहा कि मुझे तेरे ख़ौफ़ से ज्यादा ख़ुदा का ख़ौफ़ है।

मैं तुझसे सख़्त बेज़ार हूँ। ये सुनकर कमबख्त आग बबूला हो गया और आसिया को ज़मीन पर चित लिटा कर हाथों और पैरों में मेखें कीलें ठुकवा दीं। दूसरी औरत होती तो चीख़ती चिल्लाती, मगर आपने काफ़िर की सोहबत से मौत को बेहतर समझा। सुब्हान अल्लाह आसिया की शान का क्या कहना।

चौथी बीवी हज़रत हाजरा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा हैं, जिनको हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पहाड़ी पर छोड़ आए थे। बच्चे समेत अकेली अल्लाह के भरोसे, ये सोचकर खुश रहीं कि इसी में अल्लाह की मर्जी है। ख़ुदा के सिवा कोई न था। पानी तक न था। बच्चे को ख़ुदा पर छोड़कर पानी की तलाश में सात बार पहाड़ी पर चढ़ी और उतरीं और बच्चा रोता रहा। जब बच्चे का ख़्याल आता उतर आतीं। जब प्यास का ख़्याल आता तो पानी की तलाश में चढ़ जातीं थीं। आख़िर ख़ुदा ने ख़ुद इन्तेज़ाम किया।

बच्चे की एड़ियाँ रगड़ने से चश्मा ज़म-ज़म जारी कर दिया, जिससे सारी दुनिया की प्यास बुझी और शहर आबाद होना शुरू हो गया। और फिर जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम इस्माईल अलैहिस्सलाम को जिब्ह करने के लिए जाते हैं तो शैतान इन्सानी सूरत में हाजरा के पास आकर कहने लगा, ऐ बीबी, इब्राहीम अलैहिस्सलाम बच्चे को ज़िब्ह करने के लिए जा रहे हैं। यह सुनकर आपने फ़रमाया, हो सकता है तू शैतान हो ।

इब्राहीम बेकुसूर अपने बेटे को जिब्ह नहीं कर सकते। ऐसी पाक बीबियां थीं, जिनकी तारीफ़ ख़ुदा ने और ख़ुदा के रसूल ने की है।

10 BiBi Ki Kahani

जान जाए, ऐश व आराम जाए मगर ईमान न जाए। अब हज़रत जैनब रज़ियल्लाहो अन्हा कुन्बे की रोने वाली, सोग नशीन, असीरे करबला और हज़रत कुलसुम रज़ियल्लाहो तआला अन्हा बहत्तर शहीदों की सोगवार और हज़रत सुगरा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा जो अपने ख़ानदान से ऐसी जुदाई हुईं कि फिर न मिलीं। बाप और भाइयों की ख़बर सुनकर तड़प-तड़प कर इस दुनिया से विदा हो गईं। हज़रत सुगरा असीरे करबला अपने प्यारों की सोगवार हज़रत सकीना रज़ियल्लाहो तआला अन्हा ने किस क़दर मज़ालिम सहे मगर यतीमी का सदमा न उठा सकीं। बाप के लिए रिहाई की तमन्ना में तड़प-तड़पकर कैदख़ाने में दम तोड़ दिया। उनकी मुसीबत को नज़र में रखकर गिरया-व- ज़ारी, रो-धोकर यह कहानी पढ़ें और क़ुदरत की मेहरबानी की नज़र को ग़ौर से देखें।



वह कहानी यह है-

कि एक दिन अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना अली कर्रमल्लाह वजहु ने शफ़ीए रोज़े जज़ा मुहम्मद रसूलल्लाह सल्लल लाहो अलैहि वसल्लम को अपना मेहमान किया, लेकिन उस दिन घर में फ़ाक़ा (खाने को कुछ न था) था। आप थोड़ा सा जौ कहीं से क़र्ज़ लाए और जनाबे सय्यदा को देकर कहा, आज तुम्हारे वालिद बुजुर्गवार (मुराद बाप से) मेरे मेहमान हैं। मासूमा ने उसको पीसा और उसकी 6 रोटियां पकायीं। रसूल अल्लाह मग़रिब की नमाज़ के बाद तशरीफ़ लाए और अपने इब्ने अम और नवासों (नातियों) को साथ लेकर दस्तरख़्वान पर जा बैठे। सय्यदा ने एक रोटी अपनी कनीज़ जनाब फ़िज़्ज़ा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा को दी और पाँच पन्जतन पाक रज़ियल्लाहो तआला अन्हुम को । बाद फ़रागत खाने के बाद जनाब सय्यदा ने वालिद बुजुर्गवार से अर्ज की, बाबाजान कल मुझे भी सरफ़राज़ फ़रमाइये। हज़रत ने कुबूल किया।

इसी तरह नवासों (नातियों) ने अपने नाना को दावत दी। इब्न अबु तालिब ने हर रोज़ सामान क़र्ज़ से किया। आप जौ लाते जनाब सय्यदा पीसतीं, पकातीं छः रोटियां। एक हज़रत फ़िज़्ज़ा की और पाँच पन्जतन पाक (यानि पाँच पाक बन्दों) की। जब हज़रत इमाम हुसैन की बारी से हज़रत तशरीफ़ ले चले तो देखा हज़रत फ़िज़्ज़ा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा घर के दरवाज़े पर खड़ी हैं। आपने दरयाफ़्त फ़रमाया, कि फिज़्ज़ा कुछ कहना चाहती हो। तब हज़त फ़िज़्ज़ा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा ने कहा कि लौंडी इस लायक़ नहीं कि आपको तकलीफ़ दे, लेकिन मैं भी उम्मीदवार हूँ। आपने कुबूल किया। हज़रत फ़िज़्ज़ा ने नादारी की वजह से कुछ भी मुहैया न किया।

हज़रत नमाज़ से फ़रागत पाकर सय्यदा के दौलतख़ाने पर तशरीफ़ लाये। सब ताज़ीम को उठ खड़े हुए।

हज़रत फ़िज़्ज़ा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा ने किसी से जिक्र न किया था, किसी को इल्म न था। हजरत सल्लल लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, आज मैं फ़िज़्ज़ा का मेहमान हूँ।

हज़रत अली रज़ियल्लाहो तआला अन्हो ने कहा, पहले से कह देती तो मैं सामान कर देता। फ़िज़्ज़ा ने अर्ज किया आप फ़िक्र न फ़रमायें। अल्लाह मुसब्बुल अस्बाब है।

हज़रत फ़िज़्ज़ा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा गोशे में जाकर इस ग़रीबी पर सज्दा-ए-मअबूद में गिर गयीं और कहने लगीं, ज़रूरतों को पूरा करने वाले ! इस मुफ़लिसी और नादारी में तू आलम दाना है। तेरे हबीब को मेहमान किया है, तुझे मुहम्मद व आले मुहम्मद का वास्ता कि मुझे शर्मिन्दा न करना। सज्दे से सिर उठाया है तो देखती हैं कि तबक़ नेमतहाय जन्नत से भरा हुआ है। आपने हज़रत के सामने रखा। आपने पन्जतन पाक को शामिल किया और नौश फ़रमाया, फिर पूछा कि ये कहाँ से आया? हालांकि आप जानते थे कि हज़रत जिबराईल अलैहिस्सलाम उनको बतला गए थे। आपको यह ज़ाहिर करना था कि हमारे घर की लौंडियाँ भी ख़ुदा को ऐसी प्यारी और महबूब हैं कि उनके सवाल भी ख़ुदा नहीं टालता। अइम्मा ताहिरीन की सच्ची मुहब्बत और यक़ीन से सब कुछ मिल सकता है। ख़ुदा के ख़ज़ाने में किसी चीज़ की कमी नहीं।

और दस दिन तक जाए नमाज़ पर बैठकर बा-वुजू और ख़ुलूस की नीयत । और जब तेरा शौहर आकर तुझे मिले तो मोठी रोटी का मलीदा बनाकर उसके दस लड्डू बनाना और उन दस बीबियों की नज़र कर देना। इस मोमिना ने अर्ज किया “आप कौन है? आपका नाम क्या है? और इन बीवियों के नाम क्या हैं, जिनकी नियाज़ दिलवाऊं।”

10 bibiyon ki kahani

1. मेरा नाम फातिमा जहरा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा बिन्त हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा है और नौ बीबियां ये हैं, इनको अच्छी तरह याद रखना। 2. हज़रत बीबी सायरा अलैहिस्सलाम, 3. हज़रत बीबी हाजरा अलैहिस्सलाम, 4. हज़रत बीबी मरियम, 5. हज़रत बीबी आसिया और मेरी दो बेटियां, 6. जनाबे फ़ातिमा सुगरा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा, 7. हज़रत जैनब रज़ियल्लाहो तआला अन्हा, 8. जनाबे फ़ातिमा कुबरा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा, 9. जनाबे उम्मे कुलसुम, 10. जनाबे सकीना रज़ियल्लाहो तआला अन्हा मुसीबत ज़दा आफ़त रसीदा, जिनको करबला से लेकर शाम तक सख्त मुसीबतें झेलनी पड़ीं और उन बीबियों ने सब्र किया। क़ैद की मुसीबत सहीं, कोड़े खाए। जो लोग इनकी मुसीबतों को ध्यान में रखकर अपनी ज़रूरत को तलब करेगा, ख़ुदावन्द तआला उसकी हाजत को पूरा करेगा और दस दिन में उसकी मुराद पूरी होगी। इन-शा अल्लाह तआला ।



जब ये मोमिना ख़्वाब से बेदार (जागी) हुई तो वह दिन जुमेरात का दिन था। वह मोमिना अपने मुहल्ले में गई और कहने लगी- “मैंने ऐसा ख़्वाब देखा है तुम लोग पास बैठकर जनाबे सय्यदा बिन्ते रसूल ख़ुदा सल्लल लाहो अलैहि वसल्लम की कहानी सुन लिया करो।” मुहल्ले की औरतें उसके पास आकर जमा हो गईं। इस मोमिना ने दसों बीबियों की कहानी कहना शुरू कर दीं। नौ दिन गुज़र गए, कहानी को जब दसवां दिन आया तो मोमिना क्या देखती है कि उसका शौहर माल व ज़र के साथ उसके दरवाज़े पर आया। उसको मुहल्ले वालों ने आकर ख़बर दी। ये मोमिना बहुत खुश हुई और फ़ौरन नहाई। पाक पानी और कोरा कुंडा लाकर घी, शक्कर, आटा मंगवाया और उसकी मीठी रोटी पकाई उसका मलीदा बनाया और उसके लड्डू बनाकर दसों बीवियों की नियाज़ दिलवाई। अपनी सहेलियों के लिए लेकर गई। उन्होंने बहुत इज़्ज़त से वह नज़र के लड्डू लिए। उसके बाद वह अपने शौहर की भावज के पास लेकर गई और कहा, मैंने दस बीबियों की कहानी सुनी थी मेरी दुआ क़ुबूल हुई। मेरा शौहर आ गया, मैंने उसकी नज़र दिलवाई है, इसलिए ये हिस्सा तुम्हारे लिए लाई हूँ।

उस मग़रूर (घमण्डी) औरत ने उस लड्डू को यह कहकर वापिस कर दिया कि हम ऐसी ईंट-पत्थर की चीज़ नहीं खाते । मेरे घर से चली जा। ये बेचारी लड्डू वापिस ले आई और इसे भी ख़ुद खाकर ख़ुदा का शुक्र अदा किया।

अब उस मग़रूर औरत का हाल सुनिए ! रात को औरत सो गई। सुबह को क्या देखती है कि बच्चे मर गए। गल्ला और सब सामान गायब हो गया। जब घर में कुछ न रहा और बच्चे भी मर गए तो उसके हवास जाते रहे। दोनों मियां-बीवी रोने लगे। जब कई दिन गुज़र गए तो उसने कहा, कि या अल्लाह ! अब भूख से मेरा बुरा हाल है, क्या करूं? घर में गेहूं की भूसी मिली, दिल में सोचा इसको पकाकर खा लें। जैसे ही उसने भूसी को छुआ, उसमें बराबर के कीड़े नज़र आए। उसने फ़ौरन भूसी को फैंक दिया। जब उसके शौहर ने ये माजरा देखा तो कहने लगा- मेरी बहन के घर चलो वहां रोटी मिलेगी और मेरा बहनोई मुझे नौकरी करा देगा। घर का ताला बन्द करके दोनों मियां-बीवी चल दिए। उनके पास कुछ न था जो किसी सवारी में जाते । पैदल चलते-चलते उनके पैरों में छाले पड़ गए। रास्ते में उनको चने का खेत नज़र आया। उसके शौहर ने कहा, यहाँ ठहर जाओ मैं हरे चने तोड़ लाऊँ। इसको खाकर पानी पी लेंगे तो रास्ता चलने की ताक़त आ जाएगी।

10 बीवियों की कहानी

उसके शौहर ने बहुत-सी चने की टहनियां अपनी बीवी के हाथ में लाकर दीं। जैसे ही उस औरत का हाथ लगा चने की टहनियां सूखकर घास बन गईं। ये औरत घबरा गई। ये दोनों उस घास को फैंक कर आगे बढ़े। रास्ते में बहुत ही तरोताज़ा गन्नों का खेत मिला, उसका शौहर भूख व प्यास से बेताब था। गन्नो को देखकर बेक़रार हो गया। उसने बहुत से गन्ने खेत से तोड़े और बीवी को लाकर दिये और कहा, अब तो मुझसे भी नहीं चला जाता। गन्ना खा लो ताकि हम में कुवत (ताक़त) आ जाए।

ज्यों ही उस औरत ने गन्नों को छुआ, फ़ौरन सूख गए। ये दोनों उन सूखे हुए गन्नों को वहाँ फेंककर आगे चल दिए। बड़ी मुश्किल तमाम ये लोग अपनी बहन के घर पहुंचे। उसकी बहन ने पलंग लाकर बिछा दिया और ये दोनों बैठ गए। बहन के घर खाना पकाकर सब घर वालों ने खाया। बाद में उसकी बहन को याद आया, अपने नौकर से कहने लगी, अगर कुछ खाना बचा हो तो मेरी भावज को दे आ। नौकर ने बरतन पोंछकर जो कुछ था उन दोनों को ले जाकर दिया। ये लोग कई दिन के भूखे थे। खाना देखकर बहुत खुश हुए। उसने अपनी बीवी से कहा, उठो ये खाना ख़ुदा ने कई दिन बाद दिया है खा लें। बस जैसे ही उसकी बीवी ने हाथ धोकर खाना खाने के लिए रोटी का टुकड़ा तोड़ा, क्या देखती है कि खाने में सख़्त बदबू आ रही है। खाना सड़ गया है। दोनों अपना सिर पकड़कर बैठ गए और कहने लगे, या अल्लाह ! हम कब तक इस तरह भूखे-प्यासे रहें। अब तो हमारी जान निकली जाती है। उसकी बीवी ने खाने को दफ़न कर दिया और दोनों भूखे प्यासे सो गए। रात जिस तरह गुज़री गुज़ारी । सुबह हुई तो शौहर ने बीवी से कहा कि यहाँ का बादशाह मेरा दोस्त है, चलो उसके यहाँ चलें। देखें इस मुसीबत के आलम में वह हमारी क्या मदद करता है।

ये दोनों बादशाह के पास गए। ख़बरदान (मुलाजिम बादशाह) ने ख़बर दी, हुजूर, आपके यहाँ एक मर्द और एक औरत आए हैं, बहुत बुरी हालत में हैं। वे कहते हैं कि मेरी तरफ़ से बादशाह से अर्ज कर दो कि मुझसे मिल लें। बादशाह ने नौकर से उन दोनों को अन्दर बुलवाया उनको देखकर पहचान लिया। उनके लिए अलग से कमरा दिया और कहा कि तुम गुस्ल करो और आराम करो। बादशाह ने हुक्म दिया कि सात क़िस्म का खाना इन दोनों के लिए तैयार कराओ। बादशाह के हुक्म के मुताबिक़ सात खाने इन दोनों के लिए आए। उसका शौहर बहुत खुश हुआ। बीवी से बोला, जल्दी उठो, अल्लाह ने हमको नेअमत भेजी है। बीवी हाथ धोकर खाने पर आकर बैठ गई। जिस खाने को हाथ लगाती वह सड़ जाता था, ग़र्ज़ कि तमाम खाना सड़ गया और कीड़े नज़र आने लगे। उसका शौहर हैरान हो गया कि ये क्या माजरा है। अगर हम बादशाह से शिकायत करते हैं तो बादशाह नाराज़ होगा कि ताज़ा खाना भेजा और तुम हमको बदनाम करते हो। उसका शौहर घबराया और बीवी से कहने लगा कि अब मैं क्या करूं इतना बहुत-सा खाना सड़ गया।

बादशाह कहेगा कि इन लोगों ने क्या जादू किया। ग़र्ज़ कि दोनों खाना लेकर बाहर गए और ज़मीन में दफ़न कर दिया और नौकरों से कहा, बर्तन वापिस ले जाओ।

उसका शौहर बहुत ही हैरान था। इलाही ये क्या माजरा है? ये औरत बहुत घबराई और जाकर सेहन में बैठ गई। बादशाह की लड़की गुस्ल करने को जा रही थी।



बादशाह की बीवी ने कहा, मैं भी गुस्ल करूंगी। ग़र्ज़ कि ये दोनों गुस्ल करने जाने लगीं और दोनों ने अपने गले के चन्दन हार उतारकर खूंटी पर टांग दिये। ज्यों ही हार टांगे, फ़ौरन खूंटी ने हार निगल लिए। ये माजरा देखकर बादशाह की बीवी और बेटी सख़्त ताज्जुब में पड़ गईं। ये औरत भी बैठी देख रही थी। घबराकर अपने शौहर के पास गई और कहने लगी अब ख़ुदा खैर करे। उसके शौहर ने पूछा क्या हुआ तब उसने चन्दन हार का वाक़िआ सुनाया और कहा कि अब यहाँ से जल्द चलो। ऐसा न हो कि बादशाह इस इल्ज़ाम में हमको जेल कर दे या क़त्ल करा दे। ये दोनों बगैर ख़बर किए बादशाह के वहां से चल पड़े। चलते-चलते दरिया के किनारे पहुंचे और वहाँ जाकर दोनों बैठ गए। उसका शौहर बीवी से कहने लगा, नहीं मालूम हमसे क्या ग़लती हुई है जो हम पर ऐसी मुसीबत नाज़िल हुई है। बीवी कहने लगी मुझसे एक गुनाह ज़रूर हुआ है। शौहर ने कहा, मुझसे बयान करो। बीवी कहने लगी, जब तुम्हारा भाई परदेस गया था, नौकरी करने के लिए, और उसका कहीं पता न था। तुम्हारी भावज बहुत परेशान रहती थी, तो ख़्वाब में देखा था कि एक बीबी नकाबपोश आई हैं। उन्होंने फ़रमाया, तू दस बीबियों की कहानी सुन । दसवें दिन तेरा शौहर आ जाएगा और बहुत सा माल व ज़र लेकर आएगा। जब तुम्हारी भावज ने जुमेरात के दिन दस बीवियों की कहानी सुनी और दसवें दिन तुम्हारा भाई आ गया। तब तुम्हारी भावज ने गुस्ल किया और घी और गेहूं की रोटियां पकाई और उसका मलीदा करके दस लड्डू बनाए और दस बीबियों की नियाज़ दिलवाई।

तुम्हारी भावज ने सबको लड्डू बांटे और वह एक लड्डू मेरे हिस्से का लेकर आई। मैंने वह लड्डू नहीं लिया। मैंने उससे कहा, कि मैं ऐसी ईंट-पत्थर की चीज़ खाने वाली नहीं। तुम्हारी भावज उस लड्डू को वापस ले गई। यह गुनाह मुझसे ज़रूर हुआ है और तब से ही हम पर ये मुसीबत नाज़िल हुई। शौहर ने कहा, ऐ कमबख़्त तूने ऐसे गुरूर और घमण्ड के कलिमात कहे। जल्दी तौबा कर और माफ़ी मांग ताकि हमको इस मुसीबत से निजात हो । वह औरत उसी नहर पर गुस्ल करने गई और वुजू किया, नमाज़ पढ़ी और रो-रोकर दुआ की, ऐ बिन्ते मुहम्मद सल्लल लाहो अलैहि वसल्लम इस मुसीबत के आलम में मेरी मदद कीजिए। उसका शौहर कहने लगा, हमारे पास कुछ भी नहीं है। हम किस पर नियाज़ दिलवायें, ये कहकर रोने लगा। उसने नहर से रेत निकाल कर दस लड्डू बनाए और दस बीबियों की नियाज़ उन रेत के लड्डू पर दी। हज़रत सय्यदा रज़ियल्लाहो तआला अन्हा, जैनब रज़ियल्लाहो तआला अन्हा व कुलसुम रज़ियल्लाहो तआला अन्हा और सकीना रज़ियल्लाहो तआला अन्हा के एजाज़ से वह लड्डू मोतीचूर के हो गए। ये दोनों मियां-बीवी दुरूद पढ़ने लगे। पाँच लड्डू शौहर ने खाए और पाँच उस औरत ने खाकर पानी पिया और ख़ुदा का शुक्र अदा किया।

शौहर ने कहा, अब जल्द घर चलो, हमारी ख़ता माफ़ हो गई है। अब वे घर जाकर क्या देखते हैं कि उनका मकान अपनी असली हालत पर है। अनाज वगैरह जिस तरह से भरा था, वैसा ही भरा हुआ है, बच्चे तिलावते कुरआन कर रहे हैं। माँ-बाप को देखकर बच्चे ख़ुश हुए। माँ-बाप ने जो अपने बच्चों को ज़िन्दा देखा तो बहुत खुश हुए और दोनों दुरूद के नारे बुलन्द करने लगे।

ऐ मेरी बीबियों ! जिस तरह अल्लाह ने उस औरत की ख़ता माफ़ की उस तरह कुल मोमिनीन की ख़ताएं माफ़ करे और मुरादें पूरी फ़रमाए।



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