“ऐ ईमान वालो नशे की हालत में नमाज़ के करीब न जाओ यहाँ तक की समझने लगो जो कहते हो और न जनाबत की हालत में जब तक ग़ुस्ल न कर लो मगर सफर की हालत में कि वहाँ पानी न मिले तो ग़ुस्ल की जगह तयम्मुम है |👉 तयम्मुम का तरीक़ा “
कुरान मज़ीद
ग़ुस्ल इन 5 वजह से फ़र्ज़ होता है:
1. मनी का शहवत के साथ निकलना (चाहे माज़ अल्लाह हाथ से निकाले)
2. एहतेलाम यानि nightfall हो
3. सोहबत करने से
4. हैज़ (m c) के बाद
5. निफ़ास (बच्चे की पैदाइश के बाद)
इसके अलावा कैसी ही नजासत लगे क़तरा गिरे उसका धोना फ़र्ज़ है ग़ुस्ल फ़र्ज़ नहीं
गुसल के 3 फर्ज
1. कुल्ली इस तरह करना की होंट से हलक़ तक दांतो की सारी जड़ में पानी पहुंच जाये
2. नाक की नर्म हड्डी तक पानी चढ़ाना
3. सर से लेकर पैर तक ऐसा पानी बहाना कि 1 बाल बराबर जगह भी सुखी न रहे,इन तीनो में से कुछ भी छूटा तो हरगिज़ ग़ुस्ल नहीं होगा और जब गुस्ल नहीं हुआ तो वुज़ु नहीं होगा और जब वुज़ु नहीं होगा तो नमाज़ कहां से होगी.
ग़ुस्ल की 9 सुन्नते
1) नियत करना
2) दोनों हाथ गट्टो तक धोना
3) इस्तिन्जा की जगह या कहीं नजासत लगी हो तो पहले उसे धोना
4) वुज़ू करना
5) बदन पे पानी मलना
6) 3 बार दाए कंधों पर 3 बार बाएं कंधों पर फिर सर से पानी डालना
7) किबला रुख न होना
8) ऐसी जगह नहांये की कोई ना देखे
9) नहाते हुए बात या कोई दुआ न पढ़े
ग़ुस्ल करने का तरीका हिंदी में
नीयत करना-
पहले नीयत करना यानि दिल में यह इरादा करना कि निजासत से पाक होने, अल्लाह की रज़ा और सवाब के लिये नहाता हूँ न कि बदन साफ़ करने के लिये।
हाथ धोना-
फिर दोनों हाथों को गट्टों तक तीन-तीन बार धोयें।
इस्तन्जे की जगह धोना-
इस्तन्जे की जगह को धोयें चाहे निजासत लगी हो या नहीं।
बदन पर लगी निजासत धोना-
बदन पर जहाँ भी निजासत हो उसको दूर करें।
वुज़ू करना-
नमाज़ की तरह वुज़ू करें मगर पाँव नहीं धोने चाहियें लेकिन अगर किसी चीज़ पर बैठ कर नहायें तो पाँव भी धो लें।
पूरे बदन पर पानी मलना-
पूरे बदन पर तेल की तरह पानी मलें ख़ास कर सिर्दी के मौसम में।
दाहिने कंधे पर पानी बहाना-
तीन बार दाहिने कंधे पर पानी बहायें।
बायें कंधे पर पानी बहाना-
फिर तीन बार बायें कंधे पर पानी बहायें।
पूरे बदन पर पानी बहाना-
सिर और पूरे बदन पर तीन बार पानी डालें।
पाँव धोना-
अगर वुज़ू में पाँव नहीं धोये थे तो अलग हट कर पाँव धोयें।
पूरे बदन पर हाथ फेरना-
फिर पूरे बदन पर हाथ फेरें और मल लें।
ऊपर दिये गये तरीक़े से ग़ुस्ल करने पर मुकम्मल पाकी हासिल हो जाती है लेकिन अगर ग़ुस्ल में कुछ मुस्तहब अमल भी किये जायें तो इसके सवाब को और बढ़ाया जा सकता है। ग़ुस्ल में कुछ मुस्तहब अमल इस तरह हैः-
ग़ुस्ल के मुस्ताहिबात
- ज़ुबान से नीयत करना।
- नहाते में क़िबले की तरफ़ रुख़ न करना जबकि कपड़े पहने न हों।
- ऐसी जगह नहाना कि किसी की नज़र न पड़े।
- मर्द खुली जगह पर नहाए तो नाफ़ से घुटने तक का जिस्म पर कोई कपड़ा या तहबंद बाँधकर नहाए जबकि औरत का खुली जगह पर नहाना सही नहीं है।
- ग़ुस्ल में किसी तरह की बात न करना और न ही कोई दुआ पढ़ना।
- नहाने के बाद तौलिया या रूमाल से बदन पोंछना।
- सारे बदन पर तरतीब से पानी बहाना।
गुसल के जरूरी मसाइल
मसअला – जिनपर गुस्ल फ़र्ज़ है अगर उन्होने हाथ धोने से पहले किसी बाल्टी या टब में हाथ डाल दिया बल्कि सिर्फ नाखून ही डुबो दिया तो सारा पानी मुशतमिल हो गया अब उससे गुस्ल या वुज़ू कुछ नहीं हो सकता,इस बात का खयाल रखें अगर कोई गुस्ल खाने मे बरहना होकर नहाता है और नहाने से पहले या बाद को कुल्ली करता और नाक में पानी चढ़ा लेता है,उसका गुस्ल हो गया और जिसने गुस्ल कर लिया उसका वुज़ू भी हो गया.
मसअला – युंहि अगर बिला शहवत मनी के कुछ कतरे निकल आये तो वुज़ु टूट जायेगा मगर गुस्ल फ़र्ज़ नहीं.
मसअला – अगर पेशाब के साथ मनी के कुछ कतरात आ जाये तो गुस्ल फ़र्ज़ नहीं.
मसअला – अगर ख्वाब याद है मगर कपड़ों पर कुछ असरात मनी के मौजूद नहीं तो गुस्ल फ़र्ज़ नहीं.
मसअला – और अगर कपड़ों पर मनी या मज़ी के निशान है और ख्वाब याद नहीं तो गुस्ल फ़र्ज़ है.
मसअला – जिनपर गुस्ल फ़र्ज़ है उनको मस्जिद मे जाना,क़ुरान मजीद छूना,ज़बान से क़ुरान की आयत पढ़ना,किसी आयत का लिखना हराम है युंहि क़ुरान की नुक़ूश वाली अगूठी पहन्ना भी.
बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 30 – 43