Istikhara Ki Namaz OR Tarika
इस्तेख़ारा कि नमाज और तरीका |
इस्तिखारा ( खैर हासिल करें ) : सही फैसले के लीए अल्लाह ﷻ के फजलो करम और रहनुमाई की दरख्वास्त
इस्तिखारा का नतीजा
जरूरी नही के आपको कोई सपना या द्रिशय या निशानी इत्यादि नजर आएंगे। अल्लाह ﷻ आपके दिल मे उस चीज़ को पूरा करने या नही करने की ओर झुकाव डाल देंगे
अंतिम परिणाम
इस्तिखारा कोई करिशमा या चमत्कार नही बल्कि कूदरती तरीका है जीसके जरिए अल्लाह ﷻ आपके फैसले मे बरकत देंगे. इस्तिखारा कीसी नाजयज हराम चिज (चूनांचे – कया मूझे शराब पीनी चाहिए?) के लीए करना या एसी चीज पे करना जो फरज हैं (चूनांचे – कया मूझे ईशा की नमाज पढनी चाहिए?) मना हैं. फैसले पर अफसोस ना जताए कयोंकी ऐसा करना अल्लाह ﷻ की हीदायत पर शक और अफसोस के बराबर हैं. अगर आपके फैसले का नतीजा आपकी सोच के मूताबीक ना हो तो आप इसे बेहतर ही समझ के चले और ईसमे कूछ अच्छा हैं जो फीलहाल आपकी समझ के बाहर है।
अल्लाह पर यक़ीन कामिल हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं
इस्तिखारा कि नमाज
हदीसों में आया है कि जब कोई शख्स किसी काम का इरादा करे तो 2 रकअत नमाज़ नफ्ल पढ़े जिस की पहली रकअत में अल्हम्द के बाद कुल या अय्युहल् काफिरून दूसरी रकअत में अल्हम्द के बाद कुल हुवल्लाह पढ़े । Audio Quran Mp3 – Urdu Translation: Kanzul Iman
मसलाः – बेहतर यह है कि कम से कम सात मर्तबा इस्तेखारा करे ।
और फिर देखे जिस बात पर दिल जमे उसी में भलाई है । बाज बुजुर्गों ने फ़रमाया है कि इस्तेखारा करने में अगर ख्वाब के अन्दर सफेदी या हरियाली देखे तो अच्छा है और अगर काला और लाल देखे तो बुरा है । ( रद्दलमुहतार जि . 1 स . 461 )
फिर यह दुआ पढ़ कर बावजू किबला की तरफ मुंह करके सो रहे । दुआ के पहले और आखिर में सूरह फातिहा और दुरूद शरीफ भी पढ़े ।
इस्तिखारा की दुआ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلاَ أَقْدِرُ وَتَعْلَمُ وَلاَ أَعْلَمُ وَأَنْتَ عَلاَّمُ الْغُيُوبِ، اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ [फैसले का इजहार करें] خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرْ لِي الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ
Istikhara Ki Dua in Hindi Translation
ऐ अल्लाह बेशक मैं तुझसे तेरे इल्म के साथ भलाई तलब करता हूँ और तुझसे तेरी क़ुदरत के साथ ताक़त तलब करता हूँ और मैं तुझसे तेरे फ़ज़्ल-ए-‘अज़ीम का सवाल करता हूँ क्यों के तू क़ुदरत रखता और मैं क़ुदरत नहीं रखता| तू जनता है और मैं नहीं जनता और तू ग़ैबों को खूब जनता है| ऐ अल्लाह अगर तू जानता है के बेशक ये काम (जिस काम के लिए ये इस्तिख़ारा कर रहे हैं उसका नाम लीजिये) मेरे लिए मेरे दीन, मेरे म’आश और मेरे अन्जाम कार के लिहाज़ से बेहतर हैं तो इसका मेरे हक़ में फैसला कर दे और इसे मेरे लिए आसान कर दे| फिर मेरे लिए इसमें बरकत डाल दे और अगर तू जानता हैं के बेशक ये काम (जिस काम के लिए ये इस्तिख़ारा कर रहे हैं उसका नाम लीजिये) मेरे लिए मेरे दीन, मेरे म’आश और मेरे अन्जाम कार के लिहाज़ से तू इसे मुझसे दूर कर दे और मुझसे इससे दूर कर दे और मेरे लिए भलाई का फैसला कर दे जहाँ भी वह हो| फिर मुझे इस पर राज़ी कर दे|
सवाल जवाब
(1) . अगर मूझे कोइ फैसला इस्तिखारा के बावजूद सूझ ना रहा हो तो कया करूं ?
तो समझे के अल्लाह ﷻ ने जान बूझ के आपके दील मे उसका जवाब बताया नही. ईसका मतलब हो सकता है की अल्लाह ﷻ चाहते है की आप उनसे आजीजी के साथ इसे मांगते रहे और पूरे धयान के साथ उनकी मदद और इच्छा के लीए निवेदन करते रहें. दूआ मांगते रहे और उम्मिद रखें. बार बार मांगने पर भी जवाब नही मीलता,तो यह वजह नही के आप मांगना ही छोड दे
(2) . कया में कीसी और शख्स की जानीब से इस्तिखारा कर सकता हूँ ?
यह जीसकी जरूरत हो उसी को करना बेहतर हैं
(3) . यदी मै खूद ईतना चूस्त नहीं और मूझे नही लगता मेरी दूआ कबूल होगी तो कया करूं ?
अल्लाह ﷻ सबसे वाकीफ हैं. सबसे बडा गूनहगार भी बदल के अल्लाह ﷻ की तरफ मूड सकता है. यह केवल आपकी अल्लाह ﷻ पे भरोसा रखने की और आपकी आस्था की परीक्षा है
(4) . यदी मेरे अलावा दूसरे कीसी पर भी ईसका असर हो तो कया करें ?
ईस परिस्थिति मे सभी को अपना खूद का इस्तिखारा करना चाहिए
(5) . कया मे इस्तिखारा पढ सकता हूं यदि मूझे पहले से ही अपने फैसले पर यकीन हो ?
हाँ ऐसा करने से आपके काम मे बरकत बढेगी. सहाबाए इकराम रोज मऱा की जिंदीगी मे इस्तिखारा किया करते थे
(6) . कया में यह दूआ बीना २ रकात नमाज के पढ सकता हूँ ?
हाँ केवल दूआ पढना काफी है. रसूल ﷺ के बताए हूए तरीके के मूताबीक नमाज पढनी चाहिए, लेकीन आप केवल दूआ भी पढ सकते हैं अगर इसका अकसर आप इसतेमाल करते हैं या तुरंत फैसला लेना हो. जो बहने नमाज ना पढने की हालात मे केवल दुआ पढ ले तो भी ईनशा अल्लाह ﷻ सही और वाजीब है
(7) . यदी मूझे अरबी पढने ना आती हो क्यूंकि मैने अभी इसलाम कबूल किया है या मूझे यह दुआ बोलना बडा मूशकील लगता है
इस दुआ को हिंदी मे पढ लें अल्लाह ﷻ आपकी दुआ समझतें हैं चाहे जीस भाषा मे हो. और हमेशा अल्लाह से दिल से मांगते रहें. अल्लाह देखना चाहते हैं के आप सच मे पूरी आसथा के साथ केवल उनही से मांगते हैं. अगर यह आप अरबी के अलावा कोइ और भाषा मे अच्छे से करते है तो भी कोइ दीक्कत नही
(8) . अगर अल्लाह सारी भाषा और दुआ समझते हैं तो मूझे इसे अरबी मे क्यूं पढनी चाहिए ?
रसूल ﷺ ने यह दुआ हमे सिखाइ थी और जो उनहोने दुआ बताई है उसे दोहराने मे ज्यादा बरकत है. सहाबा-ए-इकराम कहते थे के आप सल्लाह अल्यही वस्सलम ने यह दुआ उसी तरह सिखाइ थी जिस तरह कूरान के भाग सिखाए।
(9) . मैने फैसला बिना इस्तिखारा पढ कर ले लिया तो इसकी वजह से कया मेरी बर्बादी होगी ?
नही. इस्तिखारा अल्लाह ﷻ के बंदे की अल्लाह ﷻ से आजीजी के साथ अपने फैसले मे बरकत हासील करने की कोशीश है लेकीन अल्लाह ﷻ इतने दयालू हैं की बरकत देने मे आपकी कोशीशो पर बिलकूल निरभर नही.
(10) . इसे ज्यादा से ज्यादा कीतनी बार करना चाहिए
रसूल ﷺ ने इसके बारे मै कोइ सीमा स्थित नही कि थी. तो चाहे एक बार हो या हजार बार यह आपके और अल्लाह ﷻ के बीच है. अगर आपके दिल मे कोई फैसला नही बैठ रहा तो अल्लाह ﷻ से मांगते रहें. यदी आपके दिल मै कोई झूकाव हो तो ईसे अल्लाह ﷻ की तरफ से समझकर ईसे कबूल करें. यह फैसला “सही” होगा यह घडी घडी पूँछने की जरूरत नही