प्यारे नबी ﷺ की प्यारी सीरत
एक इसाई ने जब इस्लाम कबूल किया तो लोगों ने उससे पूछा इस्लाम की तुझे ऐसी कौन सी बात पसंद आई जो मुसल्मान बन गया वो इसाई कहता है कि मैंने पैग़ंबरे इस्लाम की एक ही सीरत पढ़ाऔर मुसलमान हो गया, मैंने एक वाक्या पढ़ा जिस वाक्या में लिखा हुआ था एक सहाबा رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की बारगाह में अर्ज करते हैं या रसूल अल्लाह मेरा बेटा 3 दिन से खो गया है और मिल नहीं रहा है उसकी मां भी बहुत परेशान है और मैं भी परेशान हूं .
या रसूल अल्लाह आप अल्लाह ﷻ से दुआ कर दीजिए कि मेरा बेटा मुझे मिल जाए आप रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम अभी अल्लाह ﷻ से दुआ करने वाले ही थे कि एक साहाबी رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की बारगाह में आते हैं और अर्ज करते हैं या रसूल अल्लाह मैंने इनके बेटे को मदीने की गलियों में कुछ बच्चों के साथ खेलते हुए देखा है
तेरी दुआ ना कभी असर से मलुल हुई
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इधर जुबा से नीकली उधर कबुल हुई
इतना सुनना था कि वो सहाबी رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ वहां से खुशी के मारे जाने लगे तो आप रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने उन सहाबी से इरशाद फरमाया कि जब तुम वहां जाओ तो अपने बच्चे को नाम लेकर पुकारना सहाबी ने अर्ज कीया या रसूल अल्लाह ऐसा क्यों आप रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया.
जब तुम वहां जाओगे और तुम अपने बच्चे को 3 दिन के बाद देखोगे तो कहीं ऐसा ना हो कि तुम अपने बच्चे के प्यार में उसे हे मेरे लाल हे मेरे सोना तू कहां था यह कह कर पुकारोगे तो कहीं ऐसा ना हो कि उन बच्चों में कहीं कोई यतीम बच्चा भी हो और तुम्हारी ऐसी बातें सुनकर कहीं वो तकलीफ महसूस करें की काश मेरा बाप भी जिंदा होता और ऐसे ही मेरे को भी पुरकारता कहीं उसके दिल को ठेस ना पहुंचे इसलिए जब तुम जाना तो अपने बच्चे को नाम लेकर बुलाना.
वो इसाई कहता है मैंने बस यही एक वाक्या पढ़ा और मुसलमान हो गया, मैंने सोच लिया कि जिस पैगंबर-ए-इस्लाम के दिल में बच्चों के लिए इतनी मोहब्बत है वह दहशतगर्द का पैगंबर नहीं हो सकता
लिखावट में कोई गड़बड़ी हो तो माफी का तलबगार हूं