मशहूर_नाफ़रमान
बनी-इसराइल में एक शख्स था जिसने 200 साल तक अल्लाह ﷻ की नाफ़रमानी की,,,जब वो मर गया तो बनी-इसराइल ने उसे कूड़े-करकट के ढेर पर फेंक दिया।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने मूसा अलैहिस्लाम को बा-जरिये वहि हुक़्म दिया की जाओ उसे वहां से उठाकर उसकी नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ो।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया “ऐ मेरे रब ﷻ,,,बनी-इसराइल इसकी गवाही देते है की इसने 200 सालों तक तेरी नाफ़रमानी की है”
अल्लाह तबारक व् तआला ने दोबारा वहि फ़रमाई: “हाँ सच यही है की वो ऐसा ही शख्स था लेकिन,,,वो जब भी तौरात को तिलावत के लिए खोलता और उसकी नज़र इश्म-ए-गिरामी अहमद ए मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो तआला अलैहे व् सल्लम पर पड़ती तो,,, वो उसे बोसा देता और उसे उठा कर आँखों से लगाता फिर आप सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम पर दरूद-शरीफ़ भेजता था…
… तो मैंने उसका उसे ये बदला दिया की उसके तमाम गुनाहों को बख्स दिया और 70 हूरों से उस मशहूर नाफ़रमान का निकाह कर दिया”
खसाइस्-उल-कुबरा(मुतरजिम)
ज़िल्द 1 सफ़्हा 39
इमाम जलालुद्दीन सुयूती साफ़ाइ अलैहिरर्रह्मा रजिअल्लाह अलैह (911हिज़री)
#सबक: तो दोस्तों देखा आपने किस तरह एक नाफरमान भी इश्क़ ए मुस्तफ़ा में सैराब होकर बख्सा गया इसलिए खुद को इश्क़-ए-मुस्तफ़ा से सैराब् करें।
“मुहम्मद की मुहब्बत दीन ए हक़ की शर्त ए #अव्वल है..!
“ग़र हो इसी में कुछ ख़ामी तो सब कुछ #नामुक़म्मल है..!!
#तो_क्या_समझे_मियाँ: मुहब्बत की कोई दलील नहीं है बस खिलाफ़ ए शरह ना हो,,, और ताज़ीम दिल से,,,जुबाँ से,,,अख़लाक़ से और जिस्म के हर एक एक अजज़ा से ज़ाहिर होनी चाहिए।