सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का नाम “आदम” क्यों हुआ ?
जवाब :- आपका नाम “आदम” होने की कई वुजूहात हैं
- तरजुमानुल क़ुरान हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते हैं कि आपका नाम आदम इस मुनासिबत से है कि गंदमी रंग की ज़मीन से वो मिटटी ली गयी थी जिससे आपके कालिब साकिब की खमीर बनी
- हज़रत साअल्बी फरमाते हैं क्योंकि इब्रानी ज़बान में मिटटी को आदम कहते हैं | इस मुनासिबत से आपका नाम आदम रख दिया गया |
- हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खां साहब रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं की आदम तो आदमी से बना है जिस के माने हैं ज़ाहिरी ज़मीन | क्योंकि आपका जिसमे पाक ज़ाहिरी ज़मीन की मुख्तलिफ मिट्टियों से बना था | इसलिए आपका नाम आदम हुआ |
(तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल)
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तख़लीक़ के लिए कितनी जगहों से कितनी मिक़्दार में मिटटी ली गयी ?
जवाब :- आपके क़स्रे कालिब (दिल) को तैयार करने के लिए हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम ने ज़मीन की चालीस जगहों से हाथ भरकर मुख्तलिफ अतराफ़ व अकनाफ (चारो तरफ) से मिटटी ली और उसमे खुसूसियत मक्का व ताइफ़ को हासिल रही|
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के कालिब (दिल) के खमीर में कोनसा पानी इस्तिमाल हुआ ?
जवाब :- आपके तोदाये मुब्दापाक पर चालीस दिनों तक बा-हुक्मे ज़ुल्जलाल दरयाए माला माल से जो कि अर्श अज़ीम के निचे है जिसका दूसरा नाम बहरुल अहज़ाम है बारिश होती रही जिससे वो मिटटी गारे की शक्ल इख्तियार कर गयी | एक रिवायत में चालीस साल है |
एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ सत्तर हज़ार मलाइका मुक़र्रबान ने बा फ़ुरक़ाने रहमान रहीक़ व सलसबील व कौसर के चश्मों से इस मिटटी को तर किया |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की खमीर में खुशी का पानी कितना था और गम का पानी कितना ?
जवाब :- आपकी ख़ाक पाक पर चालीस दिनों तक बारिश होती रही जैसा की ऊपर गुज़रा | चालीस दिनों में से उन्तालीस दिन रंज व गम का पानी बरसा और एक दिन ख़ुशी व मुसर्रत का | इसलिए बनी आदम को रंज व गम ज़्यादा होतें हैं और ख़ुशी कम |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के कालिब (दिल) की खमीर किस जगह तैयार की गयी ?
जवाब :- फरिश्तों ने खुदा तआला के हुक्म से मिटटी का गारा उस जगह बनाया था जहां आज बैतुल्लाह शरीफ है |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की खमीर में अल्लाह तआला ने कितने दिनों कारीगरी फ़रमाई ?
जवाब :- ख़ल्लाक़े क़ायनात अज़्ज़े इसमुहुने चालीस दिनों तक जो की दुनिया के चालीस हज़ार साल के बराबर है, खास अपने दस्ते क़ुदरत से तख़मीर व कारीगरी फरमाकर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के कालिब (दिल) को तैयार किया और उनकी एक ऐसी हसीन व जमील सूरत बनाई
कि आँखे हैरत से आपके जमाल व कमाल से फ़ैल जाती थी |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के जिस्म का कौन स अजु कहा की मिटटी से बनाया गया ?
जवाब :- आप के जिस्म का हर अजु अकालीमे अर्ज़ के अलग अलग हिस्से से बनाया गया क्योंकि आप का सरे अक़दस मक्का की मिटटी से बनाया गया, गर्दने अहसन बैतूल मुक़द्दस की मिटटी से, सीना महर गन्जीना अदन की मिटटी से, शिकम व पुश्त हिन्दुस्तान की मिटटी से, दस्ते हक़परस्त मशरिक़ की मिटटी से और क़दम मोहरतम मगरिब की मिटटी से बनाये गए | बाकी गोस्त व पोस्त, रग व पैर, खून व गाज़रीफ़ वगैरा मुख्तलिफ जगहो की मिट्टियो से | हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा रिवायत फरमाते है कि मेने सैयदे क़ायनात फखरे मोजज़ात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पुछा या रसूलल्लाह हक़ जल्ले अला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को किस तरह पैदा फ़रमाया की उनके फ़रज़न्द एक दुसरे से नहीं मिलते जुलते फ़रमाया ऐ अब्दुल्ला बिन अब्बास हक़ सुबहअन्हु आज़म ने आदम अलैहिस्सलाम के रूहे रोशन को मक्का मुअज़्ज़मा की मिटटी से बनाया सरे अनवर को बैतुल्लाह मुक़द्दस की खाक से मुसरगाने दिलीस्तान और चश्मे करम को दुनिया की ख़ाक से क़दम मोहतरम को हिन्दुस्तान की ज़मीन से आज़ा को जज़ीरा सरनदीप की मिटटी से और कमर को शहद की खाक से | बस ऐ अब्दुल्लाह अगर आदम अलैहिस्सलाम की खाके पाक एक ही जगह से ली जाती तो आपके फ़रज़न्दों में से हर एक दुसरे से पहचाना न जाता सब एक ही शक्ल के होते |
(इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात)
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की सूरते जमीला कहा बनाई गई ?
जवाब :- अल्लाह तआला ने आपकी सूरत की तख़लीक़ मक्का मुअज़्ज़मा और ताइफ़ के दरमियान वादी नोमान में अरफ़ात के पहाड़ से मुत्तसिल फ़रमाई |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का पुतला तैयार होने के बाद कितनी साल बाद जान डाली गई ?
जवाब :- आप का ढांचा तैयार होने के चालीस साल बाद उसमे रूह फूंकी गई |
दूसरा कॉल एक सो बीस साल का है हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते है की हज़रते आदम अलैहिस्सलाम का ढांचा वुजूदि चालीस साल तक चमकती मिटटी की शकल में रहा | फिर चालीस साल तक सीहा गारे की सकल में, फिर चालीस साल तक खनकती मिटटी की शक्ल में रहा इस तरह एक सो बीस साल का अरसा गुज़र जाने के बाद ख़ालिक़े क़ायनात ने उसमे रूह फूंक दी और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का वुजूद बा वुजूद क़ज़ाए वुजूद में आया |
एक रिवायत में ये भी है कि हक़ तक़द्दुस व तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को चालीस हज़ार साल तक अपनी निगाहै ख़ास में रखा |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश किस दिन और किस जगह हुई ?
जवाब :- आप जुमे के दिन उस जगह कतमे अदम से मंसाए वुजूद में आये जहा आज खाने काबा है
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सब से पहले किस फ़रिश्ते ने सजदा किया ?
जवाब :- सब से पहले सिदरत नशीन जिब्राइल अलैहिस्सलाम अमीन ने सजदा किया फिर मिकाइल अलैहिस्सलाम ने फिर इस्राफील अलैहिस्सलाम ने फिर इज़राइल अलैहिस्सलाम ने फिर सारे फरिश्तों ने सजदा किया |ताअत में सबक़त करने की वजह से रूहुल अमीन को सब से बड़ा दर्जा अता फ़रमाया गया यानि खिदमते अम्बिया अलैहिमुस्सलाम |
तफ़्सीर नईमी ही में तफ्सीर रुहुल बयां के हवाले से मस्तूर व मज़कूर है के बाज़ हज़रात फरमाते हैं के सबसे पहले हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम ने सजदा किया इसी सबब से उनकी पेशानी पर सारा क़ुरान लिख दिया गया |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को किया जाने वाला सजदा कितनी देर का था ?
जवाब :- इस मुताल्लिक़ अइम्मए तफ़्सीर इख्तिलाफ रखते हैं
- ये सजदा रोज़े जुमा वक़्ते ज़वाल से असर तक किया गया |
- फ़रिश्ते सौ बरस तक सजदे में गिरे रहे |
- मलाइका पांच सौ बरस तक सजदे में रहे |
इन मुख्तलिफ कॉलों को इस तरह जमा किया जा सकता है की अव्वलन मलाइका ने आदम अलैहिमुस्सलाम को सजदा किया जिसका इबलीस पुरतबलीस ने इंकार किया ये सजदा थोड़ी देर तक रहा | फिर फरिश्तों ने सर उठा कर देखा की शैतान नाफरमान, आदम अलैहिस्सलाम की तरफ पीठ फेरे खड़ा है, तब उन्होंने दूसरा सजदा किया इस सजदे की तौफ़ीक़ रफ़ीक़ के शुक्र में ये सजदा रब्बुल अरबाब जल्ले आला के लिए था और सजदा शुक्र था | फिर जब मलाइका मुक़र्रबीन साजिदीन ने सर उठाया तो देखा शैतान मरदूद मतरूद और मकरूह हो चुका है, सूरत मस्ख होकर ख़िन्ज़ीर कासा जिस्म और बन्दर का चेहरा हो गया | तब फरिश्तों ने हैबत इलाही से एक और सजदा किया | ये तीनो सजदे आदम अलैहिस्सलाम की ही तरफ से थे मगर तीनो अलग अलग क़िस्म के और उनकी मुद्दतें अलैहदा अलैहदा |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का किस शानो शौकत के साथ जन्नत में पहुँचाया गया और कितने फ़रिश्ते आपके हमराह थे ?
जवाब :- आपको सत्तर हज़ार जन्नती हल्ले (कपड़े ) पहनाये गए | एक बहुत खूबसूरत ताज सर पर रखा गया | कमर को जवाहर व जवाहर से मुज़य्यन, तख़्त आली बख्त पर बिठाकर धीरे धीरे बागाने जन्नत पहुँचाया गया | इस तरह सात लाख मलाइका बाएं, सात लाख दाएं , सात लाख आगे पीछे सलवात व तहय्यत पेशकर रहे थे
सवाल :- हज़रात आदम अलैहिस्सलाम जन्नत में किस पेड़ का फल खाने से मना फ़रमाया गया ?
जवाब :- इस बारे में मुख्तलिफ रिवायतें वारिद हैं
- गेहूं का पेड़ था |
- वो इंजीर का पेड़ था |
- वो पेड़ अंगूर का था |
- कोई ऐसा पेड़ था जिस के खाने से रफाये हाजत की ज़रुरत होती है और जन्नत गंदगियों से पाक है |
- या वो खजूर का पेड़ था |
क़ौल अव्वल को तरजीह हासिल है (तफ़्सीर नईमी जिल्द अव्वल )
सवाल :- हज़रत आदम व हव्वा अलैहिस्सलाम में से पहले किसने शजरे ममनू का फल खाया और कितना ?
जवाब :- हज़रते हव्वा रयाल्लाहु अन्हा ने शजरे ममनू के साथ ख़ोशे तोड़े थे | पहले एक खुद ने खाया पांच आदम अलैहिस्सलाम को दिए और एक महफूज़ रखा |
सवाल :- जन्नत का गेहूं कितना बड़ा था?
जवाब :- जन्नत का गेहूं बेल के गुर्दे के बराबर था | शीराये शहद से ज़्यादा शीरी और मख्खन से ज़्यादा लज़ीज़, दिल अज़ीज़ |
सवाल :- हज़रते आदम अलैहिस्सलाम ने शजरे ममनू का जो फल खाया था वो आपके शिकमे अतहर में कितने दिनों तक रहा ?
जवाब :- हज़रते अली रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं एक रोज़ हुज़ूर सलल्लाहु अलैहिवसल्लम की बारगाह में कुछ यहूदी आये और पूछा या रसूलल्लाह हम ने तौरैत में लिखा देखा की आप की उम्मत पर तीस रोज़े फ़र्ज़ किये गए हैं आपने फ़रमाया ये ठीक है कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने बहिश्ते बरी में जो दाना गंदुम शीरी खाया था वो आप के शिकमे अतहर में तीस रोज़ तक रहा | इसी लिए तीस रोज़े फ़र्ज़ किये गए हैं |
सवाल :- हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के तने नूरी से जन्नती लिबास उतर जाने के बाद किस पेड़ के पत्तो से आपने सतर पोशी की ?
जवाब :- शजरे ममनू का दाना खाना था की हल्ले (कपड़े) नूरी जस्दे नूरी से जुदा हो गए आप रोने लगे और अज़ खुद जल्दी में बदन ऐमन छिपाने को जिस तरफ जाते वो पेड़ आप से दूर होते | आखिर इंजीर के चार पत्तों से जिस्म मुबारक को छुपाया | अल्लाह तआला का ख़िताब हुआ अब बहिश्त से बहार तशरीफ़ ले जाईये हज़रते आदम अलैहिस्सलाम आखों में आँसू और सीने में गम लिए हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के हाँथ थामे बहार तशरीफ़ लाये
बाज़ो ने ये भी कहा है की आप ने ऊद के पत्तों से सतर पोशी की थी |
सवाल :- हज़रत आदम व हव्वा अलैहिमुस्सलाम जन्नत से दुनिया में किस जगह उतारे गए ?
जवाब :- इसबारे में अइम्मा तफ़्सीर व मुर्र्खीन पाकीज़ा तहरीर इख्तिलाफ रखते हैं की हज़रत आदम व हव्वा अलैहिस्सलाम जन्नत से दुनिया दारूल मलाम में कहाँ उतारे गए
- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हिंदुस्तान में शहर सरनदीप के उस पहाड़ पर उतारे गए जिसको ”नूद” कहते हैं हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा साहिल दरयाए हिन्द पर लाई गयी | इस लिए महबते हव्वा का नाम जद्दा रखा गया मोर को मरज़ुल हिन्द में शैतान को नसान में जो की बसरा से कुछ फासले पर है या जहां अब याजूज माजूज की दिवार क़ाइम है और सांप को बहिस्तान या अस्फहान में फेका गया
- हज़रत इब्ने उमर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं आदम अलैहिस्सलाम सफ़ा पर और हव्वा रदियल्लाहु अन्हा मरवा पर उतारे गए |
- हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं की हिन्द के शहर वेहना में उतरे |
- एक रिवायत में है की हज़रत आदम अलैहिस्सलाम मक्का और ताइफ़ के दरमियान उतरे |
- बाज़ो ने ये भी कहा है की हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा मुज़दलफा पर उतारी गयी और और बाज़ ने अरफ़ा पर और इबलीस खसीस को अबला पर जो बसरा या जद्दा के क़रीब एक पहाड़ है
सवाल :- हज़रत आदम व हव्वा अलैहिस्सलाम जन्नत में कितनी मुद्दत रहे ?
जवाब :- इस तअल्लुक़ से अइम्मा तफ़सीर के कई क़ौल हैं
- आप दोनों ने बहिश्त बरी में आलमे आख़िरत के निस्फ़ दिन जो की दुनिया के पांच सौ साल के बराबर हैं, क़याम किया |
- आप दोनों खुल्दे बरी में एक साअत रहे, जन्नत की ये एक साअत एक सौ तीस साल के बराबर है |
- आप दोनों की फिरदोस बरी में इक़ामत की मुद्दत सौ साल है |
- बाज़ रिवायतों में मुद्दत इक़ामत साठ साल है |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के दौराने क़याम जन्नत सबसे पहले कौन सा फल तनावुल फ़रमाया था ?
जवाब :- फिरदौसे बरी में सबसे पहले जिस फल को आपने तनावुल फ़रमाया, वो अंगूर, इंजीर या खुरमा था
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से क्या क्या चीज़ें साथ लाये थे |
जवाब :- वो चीज़ें निचे लिखी हैं
- हज्रे अस्वद
- असाये मूसवी
- हथोड़ा
- संडासी
- ईरन
- कुछ सोना-चांदी
- मुख्तलिफ क़िस्म के बीज
- तीन क़िस्म के फल, एक वो जो पूरे खाये जाते हैं, दुसरे वो जिनका ऊपरी हिस्सा खाया जाता है और गुठली फेक दी जाती है जैसे छुआरे वगैरा, तीसरा वो जिनका ऊपरी हिस्सा फेक दिया जाता है और अंदरूनी हिस्सा खाया जाता है
- जन्नती पेड़ों की पत्तियां या फूलों की पंखडियाँ
- बेलचा
- कुदाल
- कनदर या सनोबर
- ऊद (खुशबूदार लकड़ी )
- अंगुशतरी (अंगूठी) सुलैमानी
सवाल :- हज़रत आदम व हव्वा अलैहिस्सलाम के दरमियान कितने साल जुदाई रही ?
जवाब :- तीन सो साल जुदाई रही | दूसरी रिवायत के मुताबिक़ दो सो साल दोनों में जुदाई रही | एक रिवायत भी है की सो साल तक दोनों ग़ुरबत और बेचैनी में मुब्तला रहे |
सवाल :- हज़रत आदम व हव्वा अलैहिस्सलाम की मुलाक़ात किस तारीख को और किस जगह हुई ?
जवाब :- हक़ तआला शानहु ने तोबा क़ुबूल करने के बाद आप दोनों को नो जिलहिज्जा को मिलाया |
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने हव्वा रदियल्लाहु अन्हा को पहचाना | इसलिए उस रोज़ मुसर्रत अफ़रोज़ का नाम बनाम अरफ़ा मशहूर हुआ |
सवाल:- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का क़द कितना लम्बा था और जिसमे अतहर की चौड़ाई कितनी थी ?
जवाब :- आप के क़दे सरमद की दराज़ी साठ हाथ थी | आप जब खुल्दे बरी की रौनक अफ़रोज़ दारे दुनिया हुए तो आप बहुत बुलंद क़ामत और लम्बे बदन के थे कि पाए पाक की ज़मीन पर था और सर अक़दस आसमान से लगा हुआ | फिर क़ादिर मुतलक़ ने आप के क़द को छोटा कर दिया यहां तक की साठ हाथ रह गया और आपके जस्दे नूरी की चौड़ाई साठ हाथ थी
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम दुनिया में तशरीफ़ लाने के बाद कितने दिनों तक भूके रहे ?
जवाब :- चालीस रोज़ तक कुछ नहीं खाया | एक रिवायत में चालीस साल है
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पैदल कितनी बार खाने काबा की ज़ियारत को गए थे ?
जवाब :- आप कोह सरनदीप से या पियादा चालीस बार काबे की ज़ियारत को गए |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जब ज़ियारते बैतुल्लाह को चलते तो हर एक क़दम का फासला कितना होता था ?
जवाब :- आप जब ज़ियारते खाने काबा को चलते तो हर क़दम मोहतरम का फासला पचास फ़र्सख़ के बराबर होता है एक रिवायत में की तीन रात दिन की मुसाफत का होता था |
सवाब :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम अपनी खतह पर कितने सालो तक रोते रहे ?
जवाब :- आप तीन सो साल तक इस क़दर अश्क़बार रहे की जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भी आपके रोने पर रोना आता और उन्होंने बारगाहे इलाही में आपकी सिफारिश व शफात की और ये भी अक्सर हदीसो साबित है की अगर तमाम रूए ज़मीन के रोने वाले जमा किये जाए तो गिरिया आदम अलैहिस्सलाम बढ़ा हुआ होगा
तफ़्सीरे आलम नशरह में है की आप अपनी ज़िल्लत पर रोये |
एक और रिवायत के मुताबिक आप एक सो अस्सी साल तक रोते रहे | सत्तर साल तो पेड़ खाने पर, सत्तर साल अपनी खता पर और चालीस साल क़त्ले हाबील पर |
एक रिवायत में तीन सौ सत्तर साल है
सवाल :- हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा कितनी बार हालमा हुई और कितने बच्चे हुए ?
जवाब :- इस मुतालिक अक़वाल वारिद हैं जो हस्बे ज़ैल हैं
- बाद इत्तिसाल आदम हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा बीस बार हालमा हुईं और हर हमल में एक लड़का और एक लड़की आपसे पैदा हुए यानी कुल चालीस बच्चे |
- हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के हर हमल से दो बच्चे होते मगर हज़रत शीस अलैहिस्सलाम की रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहिवसल्लम के अजदाद में हैं तनहा पैदा हुए यानि कुल उन्तालीस बच्चे बीस साहबज़ादे और उन्नीस साहबज़ादियाँ
- चालीस बार हमल हुईं और अस्सी बच्चे पैदा हुए |
- एक सौ बीस बच्चे पैदा हुए
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सला के बच्चों के नाम क्या क्या हैं ?
जवाब :- बाज़ के नाम जो मिल सके वो निचे लिखे हैं :
नर औलाद
- काबील
- हाबील
- अयाद
- शबूआ
- हिन्द
- सराबीस
- कहूर
- सनद
- बारक़
- शीस
- अब्दुल मुगीस
- अब्दुल हरिस
- वद
- सवाआ
- यग़ूस
- यऊक़
- नसर
- अब्दुल्लाह
- उबैदुल्लाह
- उबैदुर्ररहमान
मादा औलाद
- अक्लीमा
- अशोफ़
- जजूरा
- अजूरा
- उम्मे मुगीस
- लियूदा
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को कितनी ज़बानो का इल्म था और कितने पेशों में महारत रखते थे?
जवाब :- आप को सात लाख ज़बानो का इल्म दिया था |और एक हज़ार पेशों में महारते ताम्मा रखते थे मगर आपने खेती बाड़ी का पेशा इख़्तियार फ़रमाया|
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने सबसे पहले किस चीज़ की काश्तकारी की? उसका बीज कहाँ से आया? बीजों की तादाद कितनी थी और वज़न कितना था ? फिर उसकी फसल कैसी हुई ?
जवाब :- आपने जिब्राइल अमीन के जन्नत से लाये हुए गेहूं के सात दानो की काश्त फ़रमाई | अल्लाह तआला ने हर दाने के बदले एक लाख दाने उगाये |
एक और रिवायत के मुताबिक़ रूहुल अमीन तीन दाने लेकर आये थे | उनमे से दो दाने आपने बोये जिससे गेहूं की फसल हुई और एक दाने को हव्वा रदियल्लाहु अन्हा ने बोया जिससे जों की फसल हुई |और इन काश्त किये दानो का वज़न एक लाख आठ सौ दिरहम था
दूसरा क़ौल एक हज़ार आठ सौ दिरहम का है |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने सबसे पहले जो रोटी बनाई उसकी लम्बाई और चौड़ाई कितनी थी ?
जवाब :- गेहूं की फसल काटने के बाद आपने उसकी जो रोटी बनाई उसकी लम्बाई और चौड़ाई 5 सों गज़ थी |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने दुनिया में सबसे पहले किस चीज़ का लिबास पहना ?
जवाब :- आपने इस दारे दुनिया में सबसे पहले जो लिबास जेबतन फ़रमाया वो भेड़ के बालों के था जिसे खुद तैयार किया था | अपने लिए एक जुब्बा और हज़रत हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के लिए एक लिफाफा कमीज की तरह और एक ओढ़नी |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की ज़बान कोनसी थी ?
जवाब :- आपकी ज़बान खुल्दे बरी में अरबी थी | जब बहिश्त से मुसीबतगाह दुनिया में तशरीफ़ लाये तो अरबी ज़बान सल्ब कर ली गयी या भुला दी गयी | तौबा की क़ुबूलियत से पहले आप सुरयानी ज़बान में बात चीत फ़रमाया करते थे | तौबा क़ुबूल होने के बाद फिर अरबी ज़बान जन्नत निशान अता हुई |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से दुनिया में तशरीफ़ लाये तो आपके जिस्म पाक के रंग में क्या तब्दीली हुई ?
जवाब :- आप जब जन्नत से दुनिया में तशरीफ़ लाये तब आप के जिस्म मुबारक के रंग सियाह हो गया | तौबा क़ुबूल होने के बाद आपको हुक्म हुआ की तेरहवी, चौदवी और पन्दरहवी का रोज़ा रखें | चुनाचे आपने ये रोज़े रखे और दिन तने रश्क, चमन का तिहाई हिस्सा असल रंग पर आता रहा और पन्दरहवी तारीख को तमाम जिस्म पाक आपने असल रंग पर आ गया |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जब जन्नत में मुक़ीम थे उस वक़्त आपकी दाढ़ी कितनी लम्बी थी और उसका रंग कैसा था ?
जवाब :- आप जब फिरदोस बरी में रहते थे उस वक़्त आप की दाढ़ी मुबारक की लम्बाई नाफ तक थी और बिलकुल सियाह थी |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने अपनी उम्र से किसको उम्र अता फ़रमाई थी और कितनी ?
जवाब :- आपने अपनी उम्र के चालीस साल हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को अता कर दिए थे फिर भूल गए इसी वजह से बनी नो इंसान में सहू व निसयान की बिमारी पैदा हो गई
इसका तफ्सीली वाक़िआ यूं है
जब परवरदिगार आलम ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पुश्त मुबारक से तमाम ज़ुर्रियत आदमी की रूहें निकालीं और अपनी रबूबियत व लिल्लाहियत का इक़रार लिया | बनी आदम के इस इज्तिमा में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने एक एक को खूब तर व ताज़ा और नूरानी देख कर पूछा खुदाया इनका नाम क्या है ? रब तबारक व तआला ने जवाब दिया दाऊद अर्ज़ की खुदावंद इनकी उम्र क्या है फ़रमाया साठ साल | अर्ज़ की खुदाया इनकी उम्र और बड़ा दे फ़रमाया नहीं हाँ अगर तम अपनी उम्र से कुछ देना चाहो तो दे सकते हो | अर्ज़ की बंदा नवाज़ मेरी उम्र कितनी है फ़रमाया एक हज़ार साल अर्ज़ की खुदावन्द मेरी उम्र से चालीस साल दे दिए जाएँ लिहाज़ा दे दिए गए और इस लेन देंन को लिख लिया गया | जब आपकी उम्र नौ सौ साठ साल हुई तो मलकुल मौत रूह क़ब्ज़ करने की गर्ज़ से हाज़िर हुए | तो आदम अलैहिस्सलाम गोया हुए खुदावन्द मेरी उम्र में से अभी तो चालीस साल बाक़ी हैं फ़रमाया वो तुम तो अपने बेटे दाऊद को दे चुके हो फिर जिसमे लेनदेन लिखा हुआ था आपको दिखाया गया |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम मरज़ुल मौत में कितने दिन मुब्तिला रहे ?
जवाब :- आपने गियारह दिन मरज़ुल वफ़ात में मुब्तिला रहकर आलमे विशाल की तरफ कूच फ़रमाया |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के इन्तिकाल के वक़्त इंसानो की तादाद कितनी थी ?
जवाब :- आपने जब इस दारे दुनिया से कूच फरमा कर जवारे रहमत इलाही में नुज़ूल किया तो उस वक़्त आपकी औलाद की तादाद एक लाख थी |
एक दूसर रिवायत के मुताबिक़ उस वक़्त आपकी औलाद (बेटे पोते वगैरा) की तादाद चालीस हज़ार थी
एक और रिवायत के मुताबिक़ आपके विसाले हक़ के वक़्त औलाद वैगेरा की तादाद सात लाख तक पहुंच चुकी थी |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को ग़ुस्ल किसने दिया था ?
जवाब :- हज़रत जिब्राइल अमीन जन्नत से बहिश्ती बेरी के कुछ पत्ते और मुरक्कब खुशबू अपने साथ लाये और खुद हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को ग़ुस्ल दिया, खुशबू मली |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तज्हीज़ व तकफीन किसने की ? कफ़न कहाँ का और कितने कपड़ो का था ?
जवाब :- आपकी तज्हीज़ व तकफीन जिब्राइल अमीन ने की और कफ़न जन्नत के हुल्ले का था जो जिब्राइल अलैहिस्सलाम ही लेकर आये थे | आपका कफ़न तीन कपड़ों का था |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की नमाज़े जनाज़ा किस जगह और किसने पढ़ाई ? पढ़ाई जाने वाली तक्बीरों की तादाद कितनी थी ?
जवाब :- तज्हीज़ व तकफीन के बाद आपकी लाश मुबारक को फ़रिश्ते खाने काबा लाये एक रिवायत में ये भी वारिद है की आपकी लाश मुबारक को आपकी औलाद में सो डेढ़ सौ आदमी काबा में लाये | और हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम की इमामत में मलाइका ने नमाज़ अदा की नमाज़ में पड़ी जाने वाली तक्बीरों की तादाद चार थी |
एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ नमाज़ हज़रत शीस अलैहिस्सलाम ने पढ़ाई |और पढ़ी जाने वाली तक्बीरों की तादाद तीस थी पांच तकबीरें नमाज़ की और पच्चीस आपके नाज़ व एज़ाज़ में पढ़ी गयीं एक और रिवायत में तक्बीरों की तादाद तीन है | (मुआरिजुन नुबुव्वत जिल्द अव्वल )
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की क़ब्र कहाँ है ?
जवाब :- अइम्मा तफ़्सीर व मुर्र्खीन पाकीज़ा तहरीर इस बारे में इख्तिलाफ रखते हैं की आपकी कब्रे अनवर कहाँ है
- मक्का मुअज़्ज़मा से तीन मील फासले पर, मुक़ामे मिना में जहां की हाजी लोग क़ुरबानी करते हैं | इसी जगह पर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलम ने इस्माइल अलैहिस्सलाम की क़ुरबानी पेश की थी | या मस्जिदे खैफ से मिली हुई आपकी क़ब्र है
- आपकी क़ब्र कोह सरनदीप में है |
- आपकी क़ब्र उस पहाड़ में है जिस पर आप जन्नत से उतरे थे |
- बाज़ ने कहा आपकी क़ब्रे अनवर गारे जबले अबू कबीस में है जिसे गारुल कुबरा कहते हैं |
- इब्ने जरीर कहते हैं की हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने तूफ़ान के मौके पर आपके और हव्वा रदियल्लाहु अन्हा के ताबूत शरीफ को बैतुल मुक़द्दस में लाकर दफ़न फ़रमाया |
- इब्ने असाकर ने कहा आप का सर अक़दस मस्जिदे इब्राहीम के पास और पैर मुबारक सखराये बैतुल मुकदस के पास हैं |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के इन्तिक़ाल पर मख्लूक़ कितने दिनों तक रोती रही ?
जवाब :- जब आपकी वफ़ात हुई तो सात दिनों तक मख्लूक़ रोती रही और इतने ही दिन चाँद व सूरज ग्रहन में रहे |
सवाल :- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की उम्र कितनी हुई ?
जवाब :- आपकी उम्र शरीफ से मुतालिक कई क़ौल है जो निचे लिखे हैं
- इमाम नुव्वी रहमतुल्लाह के नज़दीक हज़ार साल तक रुए ज़मीन पर आपका ज़िंदह रहना मशहूर है |
- इब्ने अबी खैस्म की तहक़ीक़ ये है है की आप नौ सौ साठ साल तक ज़िंदह रहे |
- आपकी उम्र शरीफ नौ सौ चालीस साल हुई |
- आपकी उम्र नौ सौ छत्तीस साल हुई |
- आपकी उम्र शरीफ लोहे महफूज़ में एक हज़ार साल है और तौरात में नौ सौ तीस साल |
(इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात)
हवाला – इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात & मख़्ज़ने मालूमात
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