औरतों की दो रकाअत फ़र्ज़. नमाज़ का तरीका
निय्यत :
- बा वुजू क़िब्ला रूख इस तरह खड़े हों, दोनों पाउं के पन्जों में चार उँगलियों का फ़ासिला रखें.
- अब जो नमाज़ पढ़ना है उस की निय्यत या’नी दिल में उस का पक्का इरादा कीजिये.
- निय्यत की मैंने नमाज़े (नमाज़ के वक्त का नाम) की दो रकाअत फ़र्ज़. मुँह मेरा काबे की तरफ, वास्ते अल्लाह तआला के
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तक्बीर :
- दोनों हाथ कन्धों तक उठाइये
- और चादर से बाहर न निकालिये
- हाथो की उंगलियां मिली हुई न हो, और ज्यादा फैली हुई भी न हो. बल्कि अपने हालत (Normal) छोड़ दे.
- हथेली को क़िब्ला रूह रखे.
- अब तकबीर बोले
अल्लाहुअक्बर
(अल्लाह सबसे बड़ा है)
क़ियाम :
- उल्टी हथेली पर सीधी हथेली रखिये
- अब हाथो को सीने पर छाती के निचे रखे
- नज़र को सजदह की जगह रखे
- फिर सना पढ़े
सना :
सुब-हानकल-लाहुम्मा व बिहमदिका व तबा रकस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक |
( पाक है तू ऐ अल्लाह और मैं तेरी हम्द करता हूं, तेरा नाम ब-र-कत वाला है, और तेरी अ-जमत बुलन्द है और तेरे सिवा कोई मा’बूद नहीं)
अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम |
( मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता हूं शैतान मरदूद से, )
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम |
( अल्लाह के नाम से शुरूअ जो बहुत मेहरबान रहमत वाला, )
सूरए फ़ातिहा :
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन अर रहमा निर रहीम मालिकि यौमिद्दीन इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन इहदिनस् सिरातल मुस्तकीम सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दालीन (अमीन) |
सब खूबियां अल्लाह को जो मालिक सारे जहान वालों का । बहुत मेहरबान रहमत वाला , रोजे जज़ा का मालिक । हम तुझी को पूजें और तुझी से मदद चाहें । हम को सीधा रास्ता चला, रास्ता उन का जिन पर तूने एहसान किया, न उन का जिन पर गजब हुवा और न बहके हुओं का।
- सूरए फ़तिहा ख़त्म कर के आहिस्ता से ” आमीन “ कहिये
- फिर नीचे की आयत या दूसरी कोई भी कुरान की आयत पढ़ें
सूरह फ़ील :
अलम तरा कैफा फअला रब्बुका बि अस हाबिल फील. अलम यज अल कैदहूम फ़ी तजलील. व अरसला अलैहिम तैरन अबाबील. तरमीहीम बि हिजारतिम मिन सिज्जील. फजा अलहुम का अस्फिम माकूल. |
सूरह फ़ील ऑडियो सुनने के लिए यहां क्लिक करे
( क्या आप ने देखा नहीं कि आप के परवरदिगार ने हाथी वालों का क्या हशर किया. क्या अल्लाह ने उन की चाल को नाकाम नहीं कर दिया. और उन पर परिंदों के झुण्ड के झुण्ड भेज दिए. जो उन पर पक्की हुई मिटटी की कंकरियां फेंक रहे थे. चुनांचे उन को खाए हुए भूसे की तरह कर डाला. )
अब अल्लाहु अक्बर कहते हुए रुकूअ में जाइये
रुकूअ :
- रुकूअ में थोड़ा झुकिये, या’नी इतना कि घुटनों पर हाथ रख दें ज़ोर न दीजिये,
- और घुटनों को न पकड़िये
- और उंग्लियां मिली हुई रखिये
- और पाउं झुके हुए रखिये मर्दो की तरह खूब सीधे मत कीजिये
- नज़र कदमो पर रहेगी
- फिर तीन बार नोचे दी हुई तस्बीह पढ़े
सुबहान रब्बी अल अज़ीम
पाक है मेरा परवरदीगार अ-जमत वाला
- फिर तस्मी (निचे दी गई तस्बीह)कहते हुए बिल्कुल सीधे खड़े हो जाइये,
- हाथो को सीधा लटकता हुआ छोड़ दे.
- इस खड़े होने को ” क़ौमा ” कहते हैं.
समीअल्लाहु लिमन हमीदा
(अल्लाह ने उस की सुन ली जिस ने उस की तारीफ़ की)
फिर अल्लाहु अक्बर
कहते हुए सज्दे में जाइये.
सज्दा :
- इस तरह सज्दे में जाइये कि पहले घुटने जमीन पर रखिये फिर हाथ,
- फिर दोनों हाथों के बीच में इस तरह सर रखिये कि पहले नाक फिर पेशानी
- और येह खास खयाल रखिये कि नाक की नोक नहीं बल्कि हड्डी लगे और पेशानी ज़मीन पर जम जाए, ,
- बाजू करवटों से , पेट रान से , रान पिंडलियों से और पिंडलियां ज़मीन से मिला दीजिये,
- और दोनों पाउं सीधी तरफ़ निकाल दीजिये,
- कलाइयां जमीन से लगी हुई रखिये,
- नज़र नाक पर रहे
- और अब कम अज़ कम तीन बार सज्दे की तस्बीह पढ़िये,
सुबहान रब्बी अल आला
( पाक है मेरा परवरदिगार सब से बुलन्द)
फिर अल्लाहु अक्बर
बोलते हुए सर इस तरह उठाइये कि पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे, और जल्सा में आजाइये (बैठना),
- दोनों पैर सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन(पंजे) पर बैठिये
- और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये (घुटनो पर नहीं)
- दो सजदों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते है
फिर अल्लाहु अक्बर कहते हुए पहले सज्दे ही की तरह दूसरा सज्दा कीजिये
- और अब फिरसे तीन बार सज्दे की तस्बीह पढिये,
सुबहान रब्बी अल आला
( पाक है मेरा परवरदिगार सब से बुलन्द)
येह आप की एक रक्अत पूरी हुई :
Aurat Ki Do Rakat Farz Namaz Ka Tarika
अब दूसरी रकाअत :
फिर अल्लाहु अक्बर कहते हुए पहले सर उठाइये फिर हाथों को घुटनों पर रख कर पन्जों के बल खड़े हो जाइये, ( बिगैर मजबूरी ज़मीन पर हाथ से टेक मत लगाइये )
- उल्टी हथेली पर सीधी हथेली रखिये
- अब हाथो को सीने पर छाती के निचे रखे
- नज़र को सजदह की जगह रखे
- फिर सूरए फ़ातिहा पढ़े
सूरए फ़ातिहा :
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन अर रहमा निर रहीम मालिकि यौमिद्दीन इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईनइहदिनस् सिरातल मुस्तकीम सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दालीन (अमीन)
( सब खूबियां अल्लाह को जो मालिक सारे जहान वालों का । बहुत मेहरबान रहमत वाला , रोजे जज़ा का मालिक । हम तुझी को पूजें और तुझी से मदद चाहें । हम को सीधा रास्ता चला, रास्ता उन का जिन पर तूने एहसान किया, न उन का जिन पर गजब हुवा और न बहके हुओं का )
- सूरए फ़तिहा ख़त्म कर के आहिस्ता से ” आमीन “ कहिये
- फिर नीचे की सूरह या दूसरी कोई भी कुरान की सूरह पढ़ें
सूरह कौसर :
इन्ना आतय नाकल कौसर, फसल्लि लिरब्बिका वन्हर. इन्ना शानिअका हुवल अब्तर
( बेशक हमने आपको कौसर अत फरमाई. तो आप अपने परवरदिगार के लिए नमाज़ पढ़ा कीजिये और क़ुरबानी किया कीजिये. यकीनन आपका दुश्मन ही बे नामो निशान रहेगा. )
रुकूअ :
- रुकूअ में थोड़ा झुकिये, या’नी इतना कि घुटनों पर हाथ रख दें ज़ोर न दीजिये,
- और घुटनों को न पकड़िये
- और उंग्लियां मिली हुई रखिये
- और पाउं झुके हुए रखिये मर्दो की तरह खूब सीधे मत कीजिये
- नज़र कदमो पर रहेगी
- फिर तीन बार नोचे दी हुई तस्बीह पढ़े
सुबहान रब्बी अल अज़ीम
( पाक है मेरा परवरदीगार अ-जमत वाला )
- फिर तस्मी (निचे दी गई तस्बीह)कहते हुए बिल्कुल सीधे खड़े हो जाइये,
- हाथो को सीधा लटकता हुआ छोड़ दे.
- इस खड़े होने को ” क़ौमा ” कहते हैं.
समीअल्लाहु लिमन हमीदा
(अल्लाह ने उस की सुन ली जिस ने उस की तारीफ़ की)
फिर अल्लाहु अक्बर कहते हुए सज्दे में जाइये.
सज्दा :
- इस तरह सज्दे में जाइये कि पहले घुटने जमीन पर रखिये फिर हाथ,
- फिर दोनों हाथों के बीच में इस तरह सर रखिये कि पहले नाक फिर पेशानी
- और येह खास खयाल रखिये कि नाक की नोक नहीं बल्कि हड्डी लगे और पेशानी ज़मीन पर जम जाए, ,
- बाजू करवटों से , पेट रान से , रान पिंडलियों से और पिंडलियां ज़मीन से मिला दीजिये,
- और दोनों पाउं सीधी तरफ़ निकाल दीजिये,
- कलाइयां जमीन से लगी हुई रखिये,
- नज़र नाक पर रहे
- और अब कम अज़ कम तीन बार सज्दे की तस्बीह पढ़िये,
सुबहान रब्बी अल आला
( पाक है मेरा परवरदिगार सब से बुलन्द)
फिर अल्लाहु अक्बर
बोलते हुए सर इस तरह उठाइये कि पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे, और जल्सा में आजाइये (बैठना),
- दोनों पैर सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन(पंजे) पर बैठिये
- और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये (घुटनो पर नहीं)
- दो सजदों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते है
फिर अल्लाहु अक्बर
- कहते हुए पहले सज्दे ही की तरह दूसरा सज्दा कीजिये
- और अब फिरसे तीन बार सज्दे की तस्बीह पढ़िये,
सुबहान रब्बी अल आला
(पाक है मेरा परवरदिगार सब से बुलन्द)
फिर अल्लाहु अक्बर फिर सज्दे मेंसे उठ कर काऐदह में बैठ जाइये.
काऐदह :
- दोनों पैर सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन(पंजे) पर बैठिये
- और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये (घुटनो पर नहीं)
- दूसरे सजदे के बाद बैठने को काऐदह कहते है
फिर अत-तहिय्यातु पढ़िये :
अत-तहिय्यातु लिल-लाहि वस-सलवातु वत-तय-यिबातु, अस-सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल-लाहि व बरकातुह, अस-सलामु अलैना व-अला इबादिल-लाहिस-सलिहीन, अश-हदु अल-ला इलाहा इल्लल-लाहु व अश-हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह |
( तमाम क़ौली , फ़े’ली और माली इबादतें अल्लाह ही के लिये हैं । सलाम हो आप पर ऐ नबी ! और अल्लाह की रहमतें और ब-र-कतें | सलाम हो हम पर और अल्लाह के नेक बन्दों पर , मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई मा’बूद नहीं, और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद उस के बन्दे और रसूल हैं )
- जब “अश-हदु अल-ला इलाहा” पढ़ना सुरु करे तब दायाँ हाथ की मुट्ठी बंद करके, कलिमे की उंगली (पहेली ऊँगली) उठाइये,
- और “इल्लल-लाह” कहते हुए कलिमे की उंगली वापिस निचे कर दीजिये
फिर दुरूद शरीफ़ पढ़िये :
अल अहुम्मा सल्लि अला मुहम्मादिव व अला आलि मुहम्मद कमा सल लैता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद अल अहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मद कमा बारकता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद |
ऐ अल्लाह दुरूद भेज (हमारे सरदार) मुहम्मद पर और उन की आल पर जिस तरह तूने दुरूद भेजा (सय्यिदुना) इब्राहीम पर और उन की आल पर , बेशक तू सराहा हुवा बुजुर्ग है । ऐ अल्लाह ! ब-र-कत नाज़िल कर (हमारे सरदार) मुहम्मद पर और उन की आल पर जिस तरह तूने ब-र-कत नाज़िल की (सय्यिदुना) इब्राहीम और उन की आल पर, बेशक तू सराहा हुवा बुजुर्ग है.
फिर दुआए मासूरा पढ़िये :
रब्बीज अलनी मोकिमस्सलाती व मीन जूरींयति, रब्बना व त-कब्बल दुआअ, रब्बनगफिर व ली वालीध्य व लील मोअमेनिन यवम यकुमुल हिस्साब कमा बारकता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद
ऐ अल्लाह दुरूद भेज (हमारे सरदार) मुहम्मद पर और उन की आल पर जिस तरह तूने दुरूद भेजा (सय्यिदुना) इब्राहीम पर और उन की आल पर , बेशक तू सराहा हुवा बुजुर्ग है । ऐ अल्लाह ! ब-र-कत नाज़िल कर (हमारे सरदार) मुहम्मद पर और उन की आल पर जिस तरह तूने ब-र-कत नाज़िल की (सय्यिदुना) इब्राहीम और उन की आल पर, बेशक तू सराहा हुवा बुजुर्ग है. “
दुआए मासूरा 2 :
रब्बीज अलनी मोकिमस्सलाती व मीन जूयति, रब्बना व त-कब्बल दुआअ, रब्बनगफिर व ली वालीध्य व लील मोअमेनिन यवम यकुमुल हिस्साब
(ऐ मेरे परवर दिगार मुझे नमाज़ कायम करने वाला बना और मेरे औलाद को भी, ऐ हमारे रब दुआ काबुल कर, परवर दिगार मुझे और मेरे वालेदैन को और सब ईमान वालो को, उस दिन माफ़ करदेना जिस दिन हिसाब कायम होगा)
ऊपर दी हुई या फिर कोई भी दुआए मासूरा पढ़ सकते है,
फिर बाएं कन्धे की तरफ मुंह कर के कहिये
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
तुम पर सलामती हो, और अल्लाह की रहमत
और फिर दाएं कन्धे की तरफ मुंह कर के कहिये
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
तुम पर सलामती हो, और अल्लाह की रहमत
अब नमाज़ ख़त्म हुई
नमाज़ के बाद की दुआ :
अल्लाहुम-म अन्तस्सलामु व मिन्कस्सलामु तबारक-त या जल जलालि वल इक्रामि
तर्जुमा – ऐ अल्लाह! तू ही सलामती वाला है और जो सलामती है, तुझसे है और बहुत बरकत वाला है तू ऐ अज़्मत और बुजुर्गी वाले।
चाहे यह दुआ पढ़े
अल्लाहुम-म अन्तस्सलामु व मिन्कस्सलामु व इलै-क यर्जिऊस्सलामु हिय्यिना रब्बना बिस्सलामि व अद खिल्ना दारस्सलामि तबारक – त रब्बना व तआलै – त या जल जलालि वल इकरामि
– तर्जुमा – ऐ अल्लाह ! तू ही सलामती वाला है और सलामती तुझ से है और तेरी तरफ लौटती है सलामत ज़िंदा रख ऐ रब ! हम को सलामती से और दाखिल कर हम को सलामती के घर में बरकत वाला है तू ऐ हमारे रब और बुलन्द है ऐ जलाल और बुज़ुर्गी वाले ।