रिवायत में आता है कि एक दिन इब्लीस शैतान हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बारगाह में हाज़िर हुआ और कहा कि रब से मेरी शिफारिश कर दीजिए मैं तौबा करना चाहता हूं,आपने उसके लिए दुआ फरमाई तो मौला फरमाता है कि ऐ मूसा इससे कह दो कि जाकर आदम की क़ब्र को सज्दा करले मैं इसे माफ कर दूंगा,ये बात जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने मलऊन को बताई तो खबीस कहने लगा कि जब मैंने उनको उनकी ज़िन्दगी में सज्दा नहीं किया तो अब उनकी क़ब्र को सज्दा करूंगा ये कहकर चला गया,यहां तक कि मौला उसको जहन्नम में 1 लाख साल जलाने के बाद निकालेगा और कहेगा कि अब भी आदम को सज्दा करले तो मैं तुझे माफ कर दूंगा इस पर वो इंकार करेगा और हमेशा के लिए जहन्नम में डाला जायेगा
? तफसीर रूहुल बयान,जिल्द 1,सफह 72
? तफसीरे अज़ीज़ी,जिल्द 1,सफह 158
इब्लीस ने 50000 साल तक अल्लाह की इबादत की यहां तक कि अगर उसके सजदों को जमीन पर बिछाया जाए तो तो एक बालिश्त जगह भी खाली ना बचे
? ज़रकानी,जिल्द 1,सफह 59
सोचिये कि जब इब्लीस शैतान लाखों बरस इबादत करने वाला एक नबी यानि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तौहीन करने की बनिस्बत लाअनती हो गया तो जो लोग नबियों के सरदार हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की तौहीन कर रहे हैं उनका क्या होगा,उलमाये इकराम फरमाते हैं कि जिसने हुज़ूर की नालैन शरीफ की तौहीन कर दी वो भी काफिर है और आपके नालें पाक के नक्श के लिए आलाहज़रत फरमाते हैं कि
उलमाये इकराम ने हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की नालैन मुबारक की तस्वीर को अस्ल की तरह बताया और उसकी वही इज़्ज़त और एहतेराम है जो असल की है
? अहकामे तस्वीर,सफह 20
तो जब नालैन मुबारक की या सिर्फ उसकी नक्ल यानि तस्वीर की तौहीन करने वाला काफिर है तो जो आपकी ज़ात व औसाफ व हाल व अक़वाल की तौहीन करेगा वो कैसे ना काफिर होगा?