बोलते हुए सर इस तरह उठाइये कि पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे, और जल्सा में आजाइये (बैठना), 1.दोनों पैर सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन(पंजे) पर बैठिये 2.और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये (घुटनो पर नहीं) 3.दो सजदों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते है
1.इस तरह सज्दे में जाइये कि पहले घुटने जमीन पर रखिये फिर हाथ, 2.फिर दोनों हाथों के बीच में इस तरह सर रखिये कि पहले नाक फिर पेशानी 3.और येह खास खयाल रखिये कि नाक की नोक नहीं बल्कि हड्डी लगे और पेशानी ज़मीन पर जम जाए, , 4.बाजू करवटों से , पेट रान से , रान पिंडलियों से और पिंडलियां ज़मीन से मिला दीजिये,
फिर अल्लाहु अक्बर कहते हुए सज्दे में जाइये.
बोलते हुए सर इस तरह उठाइये कि पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे, और जल्सा में आजाइये (बैठना),
1.दोनों पैर सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन(पंजे) पर बैठिये 2.और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये (घुटनो पर नहीं) 3.दो सजदों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते है
जब “अश-हदु अल-ला इलाहा” पढ़ना सुरु करे तब दायाँ हाथ की मुट्ठी बंद करके, कलिमे की उंगली (पहेली ऊँगली) उठाइये,